शिक्षक चेतना की नव ज्योत
मुदित अंतस ऋषि सम,
चिंतन मनन ज्ञान ध्यान ।
नीतिमान निष्कपट निष्ठ,
सतत निरत पथ निष्काम ।
शमन दमन कर आडंबर ,
सद्ज्ञान सुसंस्कार श्रोत ।
शिक्षक चेतना की नव ज्योत ।।
लावण्य प्रभा मुख शोभित,
ओजमयी मोहक मुस्कान ।
समाहार शिक्षण कला,
नवाचार विधा मृदु गान ।
अबोध मन स्नेह सिक्त कर,
आचार विचार आदर्श पोत ।
शिक्षक चेतना की नव ज्योत ।।
क्लेश द्वेष उग्र आवेश हीन,
उज्ज्वल उन्नत कर्म प्रधान ।
भरण सदाचरण मर्यादा,
स्तुत निज संस्कृति शान ।
उत्साह उमंग उल्लास भर,
सकारात्मक वैचारिकी न्योत ।
शिक्षक चेतना की नव ज्योत ।।
संकल्प नव युग निर्माण,
नूतन तकनीक सरस प्रयोग ।
ज्ञान विज्ञान अठखेलियों संग ,
सहर्ष नवाचार अनुप्रयोग ।
शिष्य अंतर प्रेरणा ज्ञान दीप,
कदम सुखद भविष्य ओतप्रोत ।
शिक्षक चेतना की नव ज्योत ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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