भारत के राष्ट्रपति ने 30 नए जजों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी
– संवाददाता लक्ष्मण पाण्डेय की रिपोर्ट
नई दिल्ली,
नई दिल्ली। राष्ट्रपति ने इलाहाबाद, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालयों के लिए 30 नए न्यायाधीशों की नियुक्ति की है। इनमें अधिवक्ता कोटे और न्यायिक पदाधिकारी कोटे से चयन किया गया है। विधि मंत्रालय ने इसकी सिफारिश 26 सितम्बर को की थी। नई नियुक्तियों से न्यायपालिका को मजबूती मिलेगी।
भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने 30 नए न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। यह नियुक्तियाँ अधिवक्ता कोटे तथा न्यायिक पदाधिकारी (ज्यूडिशियल ऑफिसर) कोटे से की गई हैं। इससे पूर्व 26 सितम्बर 2025 को विधि मंत्रालय द्वारा इस संबंध में विज्ञप्ति जारी की गई थी।
इन नियुक्तियों के तहत इलाहाबाद उच्च न्यायालय, कर्नाटक उच्च न्यायालय और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को नए जज मिलेंगे। न्यायपालिका में इन नियुक्तियों से न्यायिक कार्यों में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है।
नए नियुक्त न्यायाधीशों की सूची इस प्रकार है :
🔹 इलाहाबाद उच्च न्यायालय
- विवेक सरन, अधिवक्ता
- विवेक कुमार सिंह, अधिवक्ता
- गरिमा प्रसाद, अधिवक्ता
- सुधांशु चौहान, अधिवक्ता
- अभदेश कुमार चौधरी, अधिवक्ता
- स्वरुपमा चतुर्वेदी, अधिवक्ता
- सिद्धार्थ नंदन, अधिवक्ता
- कुणाल रवि सिंह, अधिवक्ता
- इन्द्रजीत शुक्ला, अधिवक्ता
- सत्यवीर सिंह, अधिवक्ता
- डॉ. अजय कुमार–II, न्यायिक पदाधिकारी
- चवन प्रकाश, न्यायिक पदाधिकारी
- दिवेश चन्द्र सामंत, न्यायिक पदाधिकारी
- प्रशांत मिश्रा–I, न्यायिक पदाधिकारी
- तरुण सक्सेना, न्यायिक पदाधिकारी
- राजीव भारती, न्यायिक पदाधिकारी
- पद्मनारायण मिश्रा, न्यायिक पदाधिकारी
- लक्ष्मी कांत शुक्ला, न्यायिक पदाधिकारी
- जय प्रकाश तिवारी, न्यायिक पदाधिकारी
- देवेंद्र सिंह–I, न्यायिक पदाधिकारी
- संजीव कुमार, न्यायिक पदाधिकारी
- वाणी रंजन अग्रवाल, न्यायिक पदाधिकारी
- आचल सचदेव, न्यायिक पदाधिकारी
- बबीता रानी, न्यायिक पदाधिकारी
🔹 हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय
- जिया लाल भारद्वाज, अधिवक्ता
- रोमेेश वर्मा, अधिवक्ता
🔹 कर्नाटक उच्च न्यायालय
- कुरुबाहरल्ली वेंकटारामरेड्डी अरविंद
- गीता कदबा भारद्वाज रेड्डी पाई
- बोर्कट्टे मुरलीधरा
- त्यागराज नारायण इनावली
विधि विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च न्यायालयों में इन नई नियुक्तियों से लंबित मामलों के शीघ्र निस्तारण में मदद मिलेगी। वहीं न्यायिक व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाने में भी यह कदम महत्वपूर्ण साबित होगा।
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