नवरात के शुभ शुरुवात भईल ,
माई शैलपुत्री के भईल आगमन ।घर घर में बा उत्साह खूब भरल ,
पुलकित जन जन के तन मन ।।
जन जन के बाटे बहार आईल ,
आज माई के मेहमानबाजी में ।
खुश होके शैलपुत्री जी अईलीं ,
ना कबहूॅंओं जालसाजी में ।।
भक्त के भक्ति में भूला गईलीं ,
खाली भक्ते के एगो सुध रहे ।
पाखंडी खातिर रहे कपाट बंद ,
दुष्टन खातिर राह अवरूद्ध रहे ।।
माई के भक्ति में आज देख लीं ,
भक्तगण कईसे भईल पागल ।
ना आ पवली माई अगर जो ,
हो जाई दिल ई बड़ा घायल ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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