"अनंत की ओर स्मृति"
*******
मैं हर ओर से कैद करता हूँ स्मृति को—मानो वह मात्र एक छाया हो,
जिसे दीवारों के भीतर रोका जा सके।
किन्तु स्मृति तो आत्मा है—
और आत्मा
कैद स्वीकार नहीं करती।
दिन का उजाला
अपने व्यस्त शोर और चकाचौंध में
उसे कुछ क्षण दबा देता है।
पर जैसे ही अंधेरा उतरता है,
और जगत की गहमागहमी
मौन में विलीन होती है—
वह स्मृति पुनः जीवित हो उठती है।
अंधेरा—
जहाँ कोई सीमा नहीं,
कोई ताले नहीं,
न समय का गणित, न समाज की परिभाषा।
वहीं आत्मा को अपनी असली शरण मिलती है।
और वहीँ
यादें मुक्त होकर
अनंत के आकाश में उड़ जाती हैं।
मैं समझ पाता हूँ—
कैद तो केवल शरीर की सम्भावना है,
पर आत्मा,
याद की तरह,
हमेशा उस बन्धन को तोड़कर
अपने सत्य की ओर लौट जाती है।
. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
✍️ "कमल की कलम से"✍️
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com