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आज का नेता

आज का नेता

डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"
पाप के बोझ तले दबे,
चेहरे जब गमगीन हो।
कैसे मिटेगी दाग तब,
जब अपराध संगीन हो।। 1।।


क्या कभी छुप सकेगा,
जब पहनावा रंगीन हो?
कौन सुनेगा बात उसकी,
जब भीड़ बात छीन ले।। 2।।


आडंबर करे पाखंड का,
वस्त्र पहन रक्त या पीत।
अब न कोई भरमाएगा,
देख कुर्ते पर यज्ञोपवीत।। 3।।


बाल बढ़ा लो या दाढ़ी,
या अपनाओ कोई रीत।
जान चुका है जग अब सब,
न करेगा तुमसे प्रीत।। 4।।


रचना :----
डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"
गया जी, बिहार


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