कीर्त्यानंद सिंह जैसे उदारमना राजाओं ने साहित्य और संस्कृति को जीवित रखा : दीक्षित

- जयंती पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ कवि-सम्मेलन
पटना, २८ सितम्बर । भारत में कला, संगीत और साहित्य को उदारमना राज-घरानों से संरक्षण और पोषण प्राप्त हुआ है। राजा बहादुर कीर्त्यानंद सिंह जैसे उदार महापुरुषों ने भारतीय संस्कृति के संरक्षण में अतुलनीय योगदान दिए हैं। इसीलिए ये प्रणम्य और स्मरणीय हैं।
यह बातें, रविवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती समारोह और कवि-सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित रष्ट्राभाषा प्रचार समिति, वर्धा एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के अध्यक्ष प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कही। उन्होंने साहित्य सम्मेलन को निरन्तर सक्रियता के लिए बधाई दी तथा कहा कि गम्भीर साहित्यिक आयोजनों में कम हो रही रूचि चिंता का विषय है। इस दिशा में सभी प्रबुद्ध व्यक्तियों, समाज और शासन को जागरूक होना चाहिए।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि बनैली राज का बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन पर बड़ा उपकार है। राजा बहादुर कीर्त्यानंद सिंह की दस हज़ार रूपए की आर्थिक सहायता से सम्मेलन भवन का निर्माण हुआ था। १९३६ में दी गयी यह राशि आज के तीन करोड़ पचासी लाख दस हज़ार रूपए के बराबर है। उन दिनों १० ग्राम सोने का मूल्य ३० रूपए था। आज एक लाख पंद्रह हज़ार पाँच सौ तीस रुपए है। उन्होंने कहा कि कीर्त्यानंद सिंह कोमल भावनाओं और सारस्वत-चेतना के साधु-पुरुष ही नहीं, एक सुकुमार कवि भी थे। उनके दरबार में साहित्यकारों और कलाकारों का बड़ा आदर था। कवियों को एक-एक रचना पर पुरस्कार स्वरूप स्वर्ण अशर्फ़ी दे देते थे।
सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष और सुप्रसिद्ध साहित्यकार जियालाल आर्य, डा मधु वर्मा, डा रत्नेश्वर सिंह तथा विभा रानी श्रीवास्तव ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवि सुनील कुमार, डा ऋचा वर्मा, डा मीना कुमारी परिहार, शायरा शमा कौसर 'शर्मा', ज्योति मिश्रा, कुमार अनुपम, नीता सहाय, ईं अशोक कुमार, डा आर प्रवेश, इंदु भूषण सहाय, प्रेरणा प्रिया, संजय लाल चौधरी आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं से काव्यांजलि अर्पित की। मंच का संचालन डा मनोज गोवर्द्धनपुरी नेकिया।
सम्मेलन के प्रशासी अधिकारी नन्दन कुमार मीत, दुःख दमन सिंह, सूरज कुमार, कुमारी मेनका, सूरज कुमार आदि सुधीजन उपस्थित थे।
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