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हिंदी दिवस : हमारी मातृभाषा का महोत्सव

हिंदी दिवस : हमारी मातृभाषा का महोत्सव

- मोहिनी प्रिया
" करते हैं तन- मन से वंदन , जन- गण- मन की अभिलाषा का , अभिनंदन अपनी संस्कृति का , आराधना अपनी भाषा का । " - सोम ठाकुर
प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को मनाए जाने वाला हिंदी दिवस , हमारी मातृभाषा के प्रति सम्मान और समर्पण का प्रतीक है । हिंदी न केवल हमारी पहचान है , बल्कि यह हमारी संस्कृति , इतिहास और सभ्यता का भी प्रतिनिधित्व करती है । 1949 में संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था । आज , हिंदी विश्व की प्रमुख भाषाओं में से एक है , जो करोड़ों लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है । हिंदी भारत की आत्मा है , जो हमारी संस्कृति , परंपराओं और एकता को प्रकट करती है , हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है और हमारी पहचान को परिभाषित करती है ।
हिंदी भाषा का इतिहास अत्यंत समृद्ध है । यह भाषा विभिन्न कालखंडों में विकसित हुई और आज यह विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है । हिंदी ने भारतीय संस्कृति को संजोया है और इसे विश्वभर में प्रसारित किया है । हिंदी में नौ रसों का शृंगार है , समृद्ध साहित्य इसमें अपार है । हिंदी साहित्य ने हमें अनेक महान कवियों और लेखकों का तोहफा दिया है , जिन्होंने अपनी रचनाओं से समाज को दिशा दिखाई है । पत्रकारिता के क्षेत्र में भी हिंदी की अहम भूमिका रही है । हिंदी हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है । यह भाषा हमें हमारी मिट्टी से जोड़े रखती है और हमें अपने पूर्वजों की विरासत से परिचित कराती है । हिंदी में लिखी गई पुस्तकें , कविताएं और गीत हमारी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं । हिंदी फिल्में और संगीत ने भी विश्वभर में अपनी एक अलग पहचान बनाई है ।
हिंदी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण माध्यम है । यह न केवल हमारी मातृभाषा है , बल्कि यह हमें अपने विचारों को व्यक्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम भी प्रदान करती है । हिंदी में शिक्षा प्राप्त करने से हम अपनी संस्कृति और इतिहास को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं । हिंदी शिक्षा को बढ़ावा देने से हम अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान और समर्पण को बढ़ा सकते हैं । आइए , हम हिंदी दिवस के अवसर पर अपनी मातृभाषा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएं और इसके महत्व को समझें । हम अपनी मातृभाषा को गौरव प्रदान करने का और इसके प्रयोग को बढ़ावा देने का संकल्प करें । हमें हिंदी के प्रचार- प्रसार में योगदान देने का प्रयास करना चाहिए , हिंदी साहित्य को पढ़ने - समझने और हिंदी भाषा को अपने व्यवहार में लाए और इसे अपने दैनिक जीवन में उपयोग करने का प्रयास करें । हिंदी मात्र भाषा नहीं , जीवन की परिभाषा है हिंदी । 
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