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शिक्षक समाज के रक्षक

शिक्षक समाज के रक्षक

शिक्षक की शिक्षाओं से है रोशन सारा जहान,
जिसको पाकर बनता है हर व्यक्ति ये महान।
बिना शिक्षा के रहता है अधूरा-अधूरा इन्सान,
ज्ञान-ज्योत जलाते है ये शिक्षक सारे जहान।।


मुश्किलें हल हो जाती है उसकी सब आसान,
उचित मार्गदर्शन से बनता शिष्य यह विद्वान।
गुरुकुल में शिक्षा स्वयं पाएं त्रिलोकी भगवान‌,
हर शब्द का अर्थ बतलाते है ये ऐसी खदान।।


धन्य हो जाते शिष्य पाकर शिक्षक से ये ज्ञान,
हिन्दी गणित अंग्रेजी संग पढ़ाते यही विज्ञान।
सामाजिक भूगोल पढ़ाते कराते संस्कृत ज्ञान,
सबसे उच्च दर्जा है इनका ये मिटाते अज्ञान।।


ज्ञान का बीज यही है बोते यह दिशानिर्देशक,
देव गन्धर्व भी होते है इनके आगे नतमस्तक।
शिक्षक गुरू आचार्य कहलाते यही अध्यापक,
उपाध्याय शिक्षाकर्मी शिक्षादाता प्राध्यापक।।


सारा देश प्रगति पर है आज इनके ही कारण,
बचा रहें है यही शिक्षक शिक्षा संग पर्यावरण।
आदर्श नागरिक कहलाते न झगड़ते अकारण,
भाग्य बदल रहें है शिक्षक ढ़ेर ऐसे उदाहरण।।


रचनाकार ✍️ गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान
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