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आर्य समाज ने उठाई हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने की मांग

आर्य समाज ने उठाई हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने की मांग

ग्रेटर नोएडा। आर्य उप प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के आह्वान पर और जिला भाषा प्रचारिणी के तत्वावधान में यहां पर हिंदी दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आर्य उप प्रतिनिधि सभा गौतम बुद्ध नगर
के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी यूनेस्को की 9 अधिकृत भाषाओं में से एक है , परंतु अभी भी इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता नहीं दी गई है। जिसके लिए आर्य उप प्रतिनिधि सभा भारत सरकार से यह मांग करती है कि वह हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनवाने के लिए कदम उठाए। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार की चुनौतियों को झेलते हुए भी हिंदी विश्व की सर्वाधिक बोली वह समझी जाने वाली भाषा है। भारत में इसे लगभग 45% लोग अपनी मातृभाषा के रूप में जानते हैं। इतनी समृद्ध , साहित्यिक और वैज्ञानिक शब्दावली से ओतप्रोत भाषा होने के उपरांत भी हिंदी की उपेक्षा करना बहुत दुखद है। जिसे राष्ट्रभाषा बनाने के लिए हम सबको सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
डॉ आर्य ने कहा कि गांधी जी और नेहरू जी उर्दूनिष्ठ हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के पक्ष में थे। जिन्हें उन्होंने हिंदुस्तानी का नाम दिया था। परंतु सावरकर जी ने उस समय यह स्पष्ट घोषणा कर दी थी कि देश की राष्ट्रभाषा स्वामी दयानंद जी द्वारा लिखित सत्यार्थ प्रकाश की संस्कृतनिष्ठ हिंदी ही होगी। उनके हस्तक्षेप से लंबी बहस के बाद हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई। जिसकी लिपि देवनागरी रखी गई। अतहर यदि आज संस्कृतनिष्ठ हिंदी का प्रयोग हम करते हैं तो उसमें आर्य समाज का विशेष योगदान है।
जिला आर्य भाषा प्रचारिणी सभा के जिलाध्यक्ष ब्रह्मचारी आर्य सागर ने इस अवसर पर हिंदी को लेकर अपना बीज भाषण प्रस्तुत किया। अपनी विद्वत्ता पूर्ण शैली में उन्होंने कहा कि संस्कृत की वास्तविक उत्तराधिकरिणी यदि कोई भाषा है तो वह केवल हिंदी है, जिसका अपना वैज्ञानिक शब्दकोश है। इस शब्दकोश को किसी अन्य भाषा के शब्दों की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि भाषा की सभी परिभाषाओं पर केवल हिंदी ही खरी उतरती है। जिसके पास अपना समृद्ध शब्द कोश है । कोई भी राष्ट्र बिना अपनी राष्ट्रभाषा के नहीं रह सकता। इसलिए भारत को भी उसकी राष्ट्रभाषा मिलनी चाहिए। तुष्टीकरण के नाम पर यदि अपनी ही भाषा की उपेक्षा जारी रही तो यह हमारे लिए आत्महत्या के समान होगी। तुष्टिकरण बंद करने की मांग को लेकर हमें अपनी भाषा को सही सम्मान दिलाने के लिए आर्यों की पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित करना होगा।
हम किसी भाषा का विरोध नहीं करते , परंतु अपनी वैज्ञानिक और सर्वश्रेष्ठ हिंदी भाषा की उपेक्षा भी हमें सहन नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदी के लिए आर्य समाज ने पूर्व में भी अनेक बलिदान दिए हैं। आज का हरियाणा आर्य समाज के हिंदी आंदोलन की देन है। आज भी यदि आवश्यकता पड़ेगी तो आर्य समाज हिंदी को लेकर व्यापक रणनीति बनाकर आंदोलन करने के लिए भी मैदान में उतरेगा।
इस अवसर पर देवमुनि जी महाराज ने कहा कि गुरुकुलों के माध्यम से ही हम भारत की स्व संस्कृति और स्वभाषा के बोध को जगाने में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। आर्य समाज के विद्वान आचार्य करण सिंह ने इस अवसर पर विभिन्न साहित्यकारों के नामों का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार अनेक आर्य विद्वानों सहित हिंदी के अनुरागी कवियों और लेखकों के माध्यम से हिंदी आंदोलन को सही दिशा मिली। आर्य प्रतिनिधि सभा के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र सिंह आर्य ने इस अवसर पर कहा कि हम सभी को हिंदी अंकों को अपनाने पर बल देना चाहिए। साथ ही हिंदी अपनाने के लिए हिंदी में लिखने की प्रवृत्ति पर भी विचार करना चाहिए। उनके अतिरिक्त भी कई विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये। सभी वक्ताओं ने हिंदी को उसका सही स्थान दिलाए जाने की मांग की। बड़ी संख्या में कार्यक्रम में पहुंचे आर्यजनों ने हिंदी अंको को अपनाने और बैंक आदि में हिंदी में हस्ताक्षर करने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर 1957 में हरियाणा में चले हिंदी रक्षा आंदोलन में भाग लेने वाले चौ. जगमाल सिंह, ओमप्रकाश फ्रंटियर और अभयराम आर्य को आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही मनु आर्य, किताब सिंह आर्य, आचार्य वेद प्रकाश सहित कई हिंदी शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मनु आर्य द्वारा डॉ राकेश कुमार आर्य की कविता का सुस्वर पाठ करने से हुआ।
कार्यक्रम के संयोजक के रूप में राजेंद्र सिंह आर्य, सुखबीर सिंह आर्य सामवेद आर्य सहित विजेंद्र सिंह आर्य, कमल सिंह आर्य, देवदत्त आर्य, महावीर सिंह आर्य ,रंगीलाल आर्य, महावीर सिंह आर्य, महेंद्र सिंह आर्य, मास्टर प्रताप सिंह आर्य, पूरन पहलवान, मांगेराम आर्य, विजेंद्र सिंह आर्य, पंडित धर्मवीर सिंह आर्य, सुभाष चंद्र, बाबूराम आर्य, रामप्रसाद आर्य, ओमवीर सिंह भाटी, चरण सिंह आर्य आदि आर्यजन उपस्थित रहे।

गुरुकुल मुर्शदपुर के विद्यार्थी रहे आकर्षण का केंद्र

इस अवसर पर गुरुकुल मुर्शदपुर के आचार्य वेद प्रकाश अपने अनेक ब्रह्मचारियों को लेकर कार्यक्रम में उपस्थित हुए। सभी ब्रह्मचारी भारत माता की जय का उद्घोष करते हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। सभी विद्यार्थी अपनी हिंदी भाषा के प्रति समर्पित दिखाई दिए। आचार्य वेद प्रकाश जी ने बताया कि इन सभी छात्रों का निर्माण करते समय यह ध्यान रखा जा रहा है कि वे भारत के नागरिक के रूप में हिंदी को उसका सही सम्मान दिलाने के लिए कार्य करेंगे।
उन्होंने बताया कि गुरुकुल की परंपरा के अनुसार वे संस्कार प्रद शिक्षा देने पर बल दे रहे हैं। जो कि आज के समय की आवश्यकता भी है। क्योंकि इस समय जिस प्रकार संबंधों के प्रति लोग उदासीनता का प्रदर्शन कर रहे हैं, उसके चलते संस्कार और संवेदना का सम्मिश्रण शिक्षा में आवश्यक है।

सुभाष आर्य को बनाया गया युवक सभा का अध्यक्ष

आर्य समाज की विचारधारा के प्रति पूर्णतया समर्पित श्री सुभाष चंद्र आर्य को आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर की आर्य युवक सभा का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। संगठन के जिलाध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य ने श्री सुभाष चंद्र को अपनी शुभकामना देते हुए कहा कि उनका लक्ष्य नया नेतृत्व तलाशना और तराशना है । इसलिए आपके भीतर पात्रता देखकर यह जिम्मेदारी दी जा रही है। हम आशा करते हैं कि आपके नेतृत्व में यह संगठन दिन प्रतिदिन उन्नति करेगा और अपने राष्ट्र जागरण के महत्वपूर्ण कार्य में बढ़-चढ़कर युवा योगदान करेंगे। श्री सुभाष चंद्र आर्य ने कहा कि उन्हें जिस भाव के साथ यह जिम्मेदारी दी गई है उस पर खरा उतरने का वे हर संभव प्रयास करेंगे।

रामप्रसाद आर्य को बनाया गया धर्मार्य सभा का प्रधान

पिछली लगभग आधी शताब्दी से आर्य समाज के लिए काम करने वाले वयोवृद्ध आर्य विद्वान गांव धनोरी निवासी श्री राम प्रसाद आर्य को जिला धर्मार्य सभा का प्रधान नियुक्त किया गया है। ज्ञात रहे कि श्री आर्य पिछले लंबे समय से वेद प्रचार समिति दनकौर क्षेत्र के ब्रह्मा के रूप में कार्य करते रहे हैं। उन्हें आर्य सिद्धांतों की गहरी समझ है। जिसका लाभ अब जिला कमेटी लेना चाहती है। डीआर आर्य ने उनकी नियुक्ति पर कहा कि उनका तपस्वी जीवन हम सबके लिए लाभकारी सिद्ध होगा। जिससे वह आर्य सिद्धांतों के प्रति पूरे संगठन को अच्छा मार्गदर्शन दे सकते हैं। श्री राम प्रसाद आर्य ने कहा कि स्वामी दयानंद जी महाराज के जीवन और व्यक्तित्व से प्रेरणा पाकर उन्होंने अपना पूरा जीवन आर्य समाज के लिए समर्पित किया है अब आगे जितना भी जीवन शेष है उसे भी वह किसी संगठन के लिए देना चाहते हैं। इसके लिए यदि संगठन मेरी इस नई नियुक्ति के रूप में उपयोग लेना चाहता है तो मैं इसे सहर्ष स्वीकार करता हूं।

आर्य समाज मुर्शदपुर है धन्यवाद का पात्र


अपने संबोधन में आर्य भाषा प्रचारिणी सभा के जिला अध्यक्ष ब्रह्मचारी आर्य सागर ने कहा कि आर्य समाज मुर्शदपुर की सारी टीम ने जिस पवित्र भावना के साथ हिंदी दिवस का आयोजन किया है , वह अपने आप में ऐतिहासिक है। क्योंकि आज के दिन इस प्रकार का कार्यक्रम सरकारी स्तर पर भी नहीं किया जा रहा होगा। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों में लोग औपचारिकता निभाने के लिए आते हैं, परंतु यहां पर जितनी बड़ी उपस्थिति में लोग आए हैं, यह उपस्थित उनकी हिंदी के प्रति श्रद्धा को प्रकट करती है। डॉ राकेश कुमार आर्य ने जिला अध्यक्ष के रूप में सारी टीम का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि बहुत संक्षिप्त समय में इतना गौरवपूर्ण कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए श्री राजेंद्र सिंह आर्य, सामवेद आर्य, श्री सुखबीर सिंह आर्य , सतवीर प्रमुख सिंह , यशराज शास्त्री, सुभाष चंद्र ,बाबूजी भागीरथ , प्रभु दरोगा जी, सेंकी सहित उनकी सारी टीम धन्यवाद और बधाई की पात्र है। उन्होंने कहा कि यह गांव अनेक आर्य विद्वानों, सन्यासियों और आर्य समाज के कार्यकर्ताओं की जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है। उन्हीं की पुण्य प्रेरणा से यहां के युवा आज भी आर्य समाज के प्रति समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं।


मातृशक्ति की रही विशेष उपस्थिति


इस अवसर पर बड़ी संख्या में मातृशक्ति की उपस्थिति रही। जिन्होंने आर्य समाज के साहित्य और आर्य समाज की विचारधारा के प्रति अपनी विशेष जिज्ञासा प्रकट की। श्रीमती विक्रम देवी व श्रीमती शारदा देवी के नेतृत्व में उपस्थित हुई महिला शक्ति के भीतर स्वामी दयानंद जी और उनके आर्य समाज के प्रति गहरी श्रद्धा देखी गई।

डॉ आर्य द्वारा लिखी गई पुस्तक का किया गया विमोचन


इस अवसर पर डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा लिखी गई पुस्तक ' वैदिक धर्म में संध्या यज्ञ और राष्ट्र ' का भी विमोचन किया गया । इस पुस्तक में डॉ आर्य ने वैदिक संध्या, यज्ञ और राष्ट्र को यथावत स्थान देकर आर्य समाज की विभिन्न मान्यताओं को स्पष्ट करने वाली प्रवेशिका में कुछ शब्दों की व्याख्या स्वामी दयानंद जी के विभिन्न ग्रन्थों के माध्यम से स्पष्ट उल्लेखित की है । साथ ही यह भी स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि हवन मंत्रों में स्वस्तिवाचन और शांतिकरण के मंत्र राष्ट्र में सुख शांति को बढ़ाने के लिए ही बोले जाते हैं। डॉ आर्य द्वारा वैदिक काल गणना को भी इस पुस्तक में स्थान दिया गया है। ईश्वर, जीव और प्रकृति के बारे में आर्य सिद्धांत भी स्पष्ट किए गए हैं । इसके साथ ही आर्य समाज के नियमों की व्याख्या और उनके द्वारा लिखे गए 20 गीत भी इस पुस्तक में रखे गए हैं। कार्यक्रम में श्री महावीर सिंह आर्य को सत्यपथ पुस्तक के लिए जबकि ब्रह्मचारी आर्य सागर और डॉ राकेश कुमार आर्य को भी उनके लेखन के लिए सम्मानित किया गया।
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