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एक नई सुबह

एक नई सुबह

गीता सिंह
राहुल, आठवीं कक्षा का एक शांत और होशियार लड़का था। उसके माता-पिता एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे, जिनके लिए राहुल का भविष्य उनकी सबसे बड़ी चिंता थी। वे उसे सबसे अच्छी शिक्षा देना चाहते थे ताकि वह अपने जीवन में सफल हो सके। राहुल भी हमेशा से अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करता था। उसकी दुनिया सीमित थी, जिसमें पढ़ाई, घर और कुछ सच्चे दोस्त शामिल थे। लेकिन, जीवन में एक बड़ा बदलाव तब आया जब उसके पिता का तबादला एक नए शहर में हो गया। इस नए शहर में, राहुल को एक नए स्कूल में दाखिला लेना पड़ा। सब कुछ नया था - नई इमारतें, नए चेहरे, और एक नया माहौल। शुरुआत में, वह अकेला महसूस करता था। उसकी शांत प्रकृति के कारण, उसे नए दोस्त बनाने में मुश्किल हो रही थी। इसी दौरान, उसकी दोस्ती कुछ ऐसे लड़कों से हुई जो स्कूल में अपनी शरारतों और बेपरवाही के लिए जाने जाते थे। उनके नाम थे, करण, विजय और समीर। वे पढ़ाई में पीछे थे, लेकिन स्कूल में उनकी धाक थी।
धीरे-धीरे, राहुल भी उनके ग्रुप का हिस्सा बन गया। पहले तो यह सब मजेदार लगता था। स्कूल के बाद वे सिनेमा देखने जाते, या पार्क में घूमते थे। लेकिन जल्द ही उनकी आदतें बदलनी शुरू हो गईं। स्कूल बंक करना उनके लिए एक सामान्य बात हो गई थी। वे स्कूल की यूनिफॉर्म में ही छिपकर सिगरेट पीते थे और इसे एक बहादुरी का काम समझते थे। राहुल, जो हमेशा से इन सब चीजों से दूर रहा था, अब उनके रंग में रंगने लगा था। वह दोस्तों के सामने खुद को बहादुर साबित करना चाहता था। उसने भी सिगरेट पीना शुरू कर दिया।एक शाम, जब वे एक सुनसान गली में बैठे थे, करण ने एक छोटी सी पुड़िया निकाली। “यह ट्राई कर, मजा आएगा,” उसने कहा। राहुल हिचकिचाया, लेकिन दोस्तों के दबाव में उसने भी ड्रग्स ले ली। उस दिन पहली बार उसे लगा कि उसने कुछ बहुत बड़ा और खतरनाक काम किया है। लेकिन उस नशे की हालत में, उसे सब कुछ अच्छा और हल्का महसूस हो रहा था। उसे लगा कि यह ही असली आज़ादी है। यह ड्रग्स का एक ऐसा जाल था, जिसमें राहुल धीरे-धीरे फंसता चला गया।कुछ ही महीनों में, राहुल की दुनिया पूरी तरह से बदल गई। उसका ध्यान पढ़ाई से हट गया। उसके माता-पिता, जो हमेशा उसकी मार्कशीट पर गर्व करते थे, अब उसके गिरते नंबर देखकर चिंतित होने लगे। राहुल का व्यवहार भी बदलने लगा था। वह छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ जाता था, और अपने कमरे में अकेला रहना पसंद करता था। उसकी आँखों के नीचे काले घेरे पड़ गए थे, और उसका चेहरा पीला पड़ गया था।एक रात, उसकी माँ ने धीरे से उसके कमरे में आकर पूछा, “बेटा, क्या बात है? तुम आजकल इतने परेशान क्यों रहते हो?” राहुल ने गुस्से में कहा, “कुछ नहीं, मुझे अकेला छोड़ दो!” और दरवाज़ा बंद कर लिया। उसके माता-पिता ने कई बार उससे बात करने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही मिली। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उनका होनहार बच्चा अचानक इतना बदल क्यों गया है।एक दिन, राहुल नशे की हालत में घर से निकला और सड़क पर बेहोश होकर गिर पड़ा। लोगों ने उसे देखा और तुरंत पुलिस को खबर दी। पुलिस ने उसे उठाकर अस्पताल पहुँचाया। जब उसके माता-पिता को यह खबर मिली, तो वे टूट गए। वे भागकर अस्पताल पहुँचे। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि अगर समय पर इलाज न होता, तो उसकी जान भी जा सकती थी। यह सुनकर उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।अस्पताल में, राहुल को होश आया। उसकी आँखों में एक अजीब सा खालीपन था। वह खुद से नफरत कर रहा था। उसी दौरान, एक व्यक्ति उसके पास आया। वह अस्पताल का एक काउंसलर था और सभी उसे प्यार से अमित भैया कहते थे। अमित ने धीरे से उसके पास बैठकर कहा, “राहुल, मैं जानता हूँ कि तुम इस वक्त कैसा महसूस कर रहे हो।” अमित के चेहरे पर कोई गुस्सा या तिरस्कार नहीं था, सिर्फ सहानुभूति थी। राहुल ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन अमित ने हार नहीं मानी। वह रोज राहुल के पास आता और उससे बात करता, उसे कहानियाँ सुनाता और हंसाने की कोशिश करता।एक दिन, अमित ने राहुल को अपनी कहानी सुनाई। “मैं भी कभी तुम्हारी तरह था, राहुल,” अमित ने कहा। “नशे की लत ने मुझसे मेरी पढ़ाई, मेरे सपने, मेरे परिवार और मेरा आत्मसम्मान सब छीन लिया था। मैं भी उस अंधेरे में खो गया था, जहाँ से बाहर निकलने का कोई रास्ता नज़र नहीं आता था।” अमित की कहानी सुनकर राहुल चौंक गया। अमित ने आगे कहा, “लेकिन एक दिन मुझे एहसास हुआ कि मैं अपनी गलती पर ही अटका हुआ हूँ। गलती करना बुरा नहीं है, लेकिन गलती पर ही अटक जाना बुरा है।”अमित के ये शब्द राहुल के दिल को छू गए। उसकी आँखों में आँसू आ गए। वह पहली बार खुद से यह स्वीकार कर रहा था कि वह एक गलत रास्ते पर था और उसे मदद की जरूरत है। उसने अमित भैया का हाथ पकड़ा और बोला, “मुझे मदद चाहिए, अमित भैया।”यह राहुल की जिंदगी में एक नई सुबह की शुरुआत थी। अमित ने उसे नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाया। वहाँ राहुल ने प्रोफेशनल काउंसलिंग ली, और हर दिन योग और ध्यान का अभ्यास करना शुरू किया। यह सफर आसान नहीं था। कई बार उसे पुराने दोस्तों की याद आती, और कभी-कभी उसे वापस नशे की दुनिया में जाने का मन करता, लेकिन अमित भैया का मार्गदर्शन और माता-पिता का प्यार हमेशा उसके साथ रहा।
धीरे-धीरे राहुल ने पुराने दोस्तों से नाता तोड़ लिया और अपनी पढ़ाई पर फिर से ध्यान देना शुरू किया। उसके माता-पिता, जो पहले निराश हो चुके थे, अब अपने बेटे की प्रगति देखकर गर्व महसूस करते थे। हर दिन, राहुल में एक नई उम्मीद और सकारात्मकता दिखती थी।।कई साल बाद, राहुल ने मनोविज्ञान में अपनी पढ़ाई पूरी की। आज वह एक सफल काउंसलर है। वह स्कूलों और कॉलेजों में जाकर बच्चों को नशे के दुष्परिणामों के बारे में बताता है और उन्हें सही रास्ता दिखाता है। वह अपनी कहानी सुनाकर उन्हें प्रेरित करता है।राहुल आज खुद एक प्रेरणा बन चुका है। वह बताता है कि कैसे गलत संगत किसी की भी जिंदगी बर्बाद कर सकती है, लेकिन अगर सही समय पर प्यार, मार्गदर्शन और समर्थन मिल जाए, तो कोई भी अपनी जिंदगी में एक नई शुरुआत कर सकता है। क्योंकि हर अंधेरे के बाद एक नई सुबह होती है।सही संगत का चुनाव: हमारी जिंदगी में दोस्त बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। अगर हम गलत लोगों के साथ रहेंगे, तो हमारी सोच और आदतें भी वैसी ही हो जाएंगी। इसलिए, ऐसे दोस्त चुनें जो हमें अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करें।।: माता-पिता हमारे सबसे बड़े मार्गदर्शक और समर्थक होते हैं। हमें उनसे अपनी परेशानियाँ साझा करनी चाहिए। उनकी सलाह और प्यार हमें हर मुश्किल से बाहर निकाल सकते हैं।गलती से सीखें: गलती करना इंसान का स्वभाव है। लेकिन गलती से सीखना और उसे ठीक करने की कोशिश करना ही हमें आगे बढ़ने में मदद करता है।उम्मीद कभी न छोड़ें: जिंदगी में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, हमें कभी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। हर अंधेरे के बाद एक नई सुबह जरूर होती है। 
गीता सिंह, विलासपुर , छत्तीसगढ़
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