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ज्योत जलानें आये

ज्योत जलानें आये

आया हूँ हे माँ तेरी
मैं ज्योत जलाने को।
दे देना मुझको आशीर्वाद..
अपने दोनों हाथो से।
आया हूँ हे माँ तेरी
मैं ज्योत जलाने को।
दे देना मुझको आशीर्वाद..
अपने दोनों हाथो से।।


दिल दिमाग में तुम बसे हो
उद्दार मेरा कर दो।
सपने में तुम दिखते हो
दर्शन दे दो मुझको।
आया हूँ हे माँ तेरी
मैं ज्योत जलाने को।।


हर रंग में तुम दिखती हो
हर दिलमें तुम बस्ती हो।
भक्तों की भी तुम बाते
बहुत ही समझती हो।
आई है देखो नवरात्रि
इस बार खास कुछ लेकर।
इसलिए हे माँ तेरे
मैं द्वारे पर खड़ा हूँ।
अब मुझको दर्शन देना
या खाली हाथ लौटाना।।
आया हूँ हे माँ तेरी
मैं ज्योत जलाने को।।


झोली पड़ी है खाली
हे माँ तेरे बच्चे की।
घर में भी है सुना सुना
तेरे बिना जग अधूरा।
भरो दो नवरात्रि में
हे माँ अब मेरी झोली।
गुण गान हम करें
सात जन्मों तक हम तेरा।।
आया हूँ हे माँ तेरी
मैं ज्योत जलाने को।
दे देना मुझको आशीर्वाद..
अपने दोनों हाथो से।।


सभी पाठकों को नवरात्रि की बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं। माता रानी आप की सभी मनोकमनाएँ पूरी करें।


जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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