चंद्र ग्रहण से संबंधित विशेष जानकारियां
हर हर महादेव!!
लेखक:रवि शेखर सिन्हा उर्फ आचार्य मनमोहन।
ज्योतिष मार्तंड एवं जन्म कुंडली विशेषज्ञ।
7 सितंबर रविवार को स्नान दान और व्रत की पूर्णिमा होगी। आज से महालय आरंभ हो जाएगा। अर्थात श्राद्ध पक्ष की शुरुआत आज से हो जाएगी।
वर्ष 2025 का भारत वर्ष में लगने वाला आज पहला ग्रहण होगा। यह खग्रास चंद्र ग्रहण पूरे भारतवर्ष में दिखाई देगा। भारतवर्ष के अलावा अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, हिंद महासागर, यूरोप, पूर्वी अटलांटिक महासागर में भी यह चंद्र ग्रहण दिखाई देगा।
इस ग्रहण का स्पर्श रात 9:57 पर होगा। ग्रहण का मध्य समय रात्रि 11:41 पर होगा और रात्रि 1:27 पर ग्रहण समाप्त हो जाएगा। 3 घंटे 28 मिनट तक चलने वाला यह खग्रास चंद्र ग्रहण पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र और कुंभ राशि में लगेगा। अतः जिनका भी जन्म पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में अथवा कुंभ राशि में हुआ है, ऐसे लोगों को इस चंद्र ग्रहण का दर्शन नहीं करना चाहिए। इस खग्रास चंद्र ग्रहण से सबसे अधिक मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों को सावधान रहना चाहिए। इन सभी राशि वालों के लिए यह चंद्र ग्रहण अच्छा नहीं है अर्थात अशुभ फल प्रदायक हो सकता है।
जबकि मेष राशि, वृष राशि, धनु राशि और कन्या राशि वालों को लाभ मिलेगा।
जिनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा नीच राशि में हों या जन्म कुंडली के चौथे, छठे, आठवें या बारहवें घर में बैठे हों, अशुभ स्थिति में हों, चंद्रमा पीड़ित हो तो ऐसे व्यक्तियों पर इस चंद्र ग्रहण का अशुभ प्रभाव पड़ता है।
जिन राशियों के लिए ग्रहण शुभ फलदायक नहीं है उन्हें ग्रहण कल के समय चंद्रमा के मंत्रों का जाप करना चाहिए। श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथो का अध्ययन करना चाहिए। श्री हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक और बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए
चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले लग जाता है अतः 7 सितंबर 2025 की दोपहर 12:57 से चंद्र ग्रहण का सूतक आरंभ हो जाएगा जिसके कारण 12:57 से लेकर रात्रि 2:00 बजे तक भोजन शयन कर्मकांड मंदिर में प्रवेश भगवान की मूर्तियों का स्पर्श करना मैथुन क्रिया और यात्रा करना वर्जित होता है। ग्रहण के सूतक काल में भोजन नहीं करना चाहिए। शौच इत्यादि क्रियाओं से बचना चाहिए। किंतु छोटे बालक, वृद्ध, अस्वस्थ, बीमार और गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के सूतक काल का दोष नहीं लगता। उन्हें भोजन, विश्राम और शौच इत्यादि का नियम पालन करने की आवश्यकता नहीं होती। सूतक लगने से पूर्व भोजन सामग्री जैसे दूध, दही, घी इत्यादि में, कच्चे अनाज के बर्तनों में तुलसी के पत्ते अथवा कुश के टुकड़े रख देना चाहिए। ग्रहण कल की समाप्ति अर्थात मोक्ष के बाद पीने का पानी बदलकर नया ताजा पानी लेना चाहिए। सूतक काल में यदि जल पीने की इच्छा हो प्यास लगे तो जल में तुलसी के पत्ते डालकर सेवन किया जा सकता है। किंतु ग्रहण के समय रात्रि 11:57 से 1:27 तक बालक, वृद्ध गर्भवती महिलाएं और अस्वस्थ व्यक्ति को भी भोजन शौच इत्यादि क्रियाओं से बचना चाहिए। ग्रहण के समय सूतक काल से लेकर ग्रहण के मोक्ष होने तक गर्भवती महिलाओं के लिए किसी भी प्रकार की वस्तु को काटना, छीलना, जलाना या तोड़ना वर्जित होता है।चूल्हा जलाना, भोजन पकाना इत्यादि भी गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा नहीं होता। ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। यथासंभव शयन नहीं करना चाहिए। यदि विश्राम करना हो अथवा नींद आ रही हो, तो ग्रहण के सूतक लगने से पहले ही अपने शरीर की लंबाई के अनुसार किसी छड़ी अथवा लकड़ी को अपने शरीर से स्पर्श करा कर घर के किसी कोने में सीधा करके खड़ा करके रख देना चाहिए। उसके बाद गर्भवती महिलाओं को विश्राम करने, बैठने और शयन करने का कोई दोष नहीं लगता। ग्रहण के पश्चात उस लकड़ी को यथा संभव जल में विसर्जित कर देना चाहिए।
ग्रहण की समाप्ति पर स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए और अन्न (कच्चे अनाज) का दान करना चाहिए।इति शुभमस्तु!
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