राजस्थान के रज रज में,नारी वीरता का स्पंदन
अनंत नमन वीर धरा राजस्थान,
कण कण अंतर उत्सर्ग ज्योत।
नर नारी शौर्य पराक्रम छटा अनूप,
हर कदम राष्ट्र रक्षा धर्म ओतप्रोत ।
नारी परोक्ष भूमिका रण विजय,
चरित्र पटल सतीत्व अभिवंदन ।
राजस्थान के रज रज में,नारी वीरता का स्पंदन ।।
स्वामी भक्ति सिरमौर पन्नाधाय,
नयनन सम्मुख चंदन बलिदान ।
अद्भुत अनुपम मीरा कृष्ण भक्ति,
अथाह सहन कष्ट कंटक विषपान ।
अतुलनीय त्याग रानी पद्मिनी ,
खिलजी दुष्प्रयास समूल खंडन ।
राजस्थान के रज रज में,नारी वीरता का स्पंदन ।।
प्रेरणापुंज हाड़ी रानी व्यक्तित्व,
रण भूमि भेजी सिर काट निशानी ।
पर्यावरण संरक्षण हेतु वंदना,
अमृता प्राण न्योछावर कहानी ।
हृदय पति सिर कलम साहस,
वीरव्रती हीरा दे राष्ट्र प्रेम अभिनंदन ।
राजस्थान के रज रज में,नारी वीरता का स्पंदन ।।
रानी जवाहर बाई अदम्य वीरांगना,
तज जौहर रण गंगा स्नान स्वीकार ।
पुनीत रानी कर्णावती राखी सम्मान,
हुमायूं संग शत्रु पटल विजय साकार ।
रजवाड़ी आन बान शान सदा शीर्ष,
अनुभूत कर नारी शक्ति भक्ति मंडन ।
राजस्थान के रज रज में,नारी वीरता का स्पंदन ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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