बोली
जय प्रकाश कुवंर
देह करिया गोर होखे,सुंदर चाहे बेढब बा।
बोली मधुर होखे के चाहीं,
बोलिये में त सब बा।।
बोलिये में मिठाई बा,
बोलिये में खटाई बा।
बोलिये में सिधाई बा,
बोलिये में लड़ाई बा।।
बोलिये में दुलार बा,
बोलिये में दुत्कार बा।।
एगो बोली नाता जोड़ेला।
एगो बोली नाता तोड़ेला।।
चटकन के मार सहा जाला।
बोली के मार दिल दुखा जाला।।
मीठा बोली दवाई ह ऽ।
कड़वा बोली लड़ाई ह ऽ।।
मिरचा अइसन बोली,
सबका के दूर भगावेला।
मीठा बोली बोले वाला,
सबका के पास सटावेला।।
केहू अइसन बोलेला,
सबका से रिश्ता जोड़ेला।
केहू अइसन बोलेला,
बनलो रिश्ता के तोड़ेला।।
कोयल के मीठी बोली,
सबका मन के भावेला।
कांव कांव करे वाला कौआ के,
सबलोग दूर भगावेला।।
रउआ जब आपन मुंह खोलीं।
नरम दिल से मीठा बोलीं।।
खाली मतलब से मत बोलीं।
अपनापन खातिर हीं मुंह खोलीं।।
प्रेम से बोलल बोली,
सब केहू के खुब सुझेला।
आदमी त आदमी ह,
प्रेम के बोली जानवर भी बुझेला।।
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