हिन्दी
मुखड़े का उद्गार है हिन्दी ,हृदय का संसार है हिन्दी ,
भाषा का संचार है हिन्दी ,
जीवन का संस्कार है हिन्दी ।
मानवता का आचार हिन्दी ,
बंधुत्व का व्यवहार है हिन्दी ,
रिश्ते का ही प्यार है हिन्दी ,
प्यार का आधार है हिन्दी ।
विश्व का अरमान है हिन्दी ,
हिन्द का ही शान है हिन्दी ,
जगत का कल्याण हिन्दी ,
हिन्द का पहचान है हिन्दी ।
भाषाओं का मान है हिन्दी ,
हिन्द का ये भान है हिन्दी ,
अ से अनपढ़ से ये लेकर ,
ज्ञ से होता ज्ञान है हिन्दी ।
गुणों की ये खान है हिन्दी ,
राष्ट्रगीत राष्ट्रगान है हिन्दी ,
लय सुरों का तान है हिन्दी ,
भाषाओं में महान हिन्दी ।
भाषाओं का शृंगार हिन्दी ,
हिन्द का है यह सार हिन्दी ,
मधुरता का सितार हिन्दी ,
आजीवन तेरा आभार हिन्दी ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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