लोग क्या कहेंगे, शांत मृत्यु में बाधक
जय प्रकाश कुवंर
मृत्यु जीवन की यात्रा का अगला और अंतिम चरण है। जीवन माता के पेट में भ्रूण अवस्था से शुरू होकर किसी भी उम्र में अंतिम सांस चलने तक कायम रहता है, उसके बाद वह स्वत: नष्ट हो जाता है। शरीर का मरना एक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर के महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद कर देते हैं। इसमें हृदय का रूकना, सांसो का थम जाना और मष्तिष्क की गतिविधियों का समाप्त होना शामिल है।
कुछ मामले जैसे दुर्घटना, हार्टअटैक आदि को अगर छोड़ दें तो शरीर जैसे जैसे उम्र अख्तियार करता है, वैसे वैसे बुढ़ापे के साथ उसके ईश्वर प्रदत्त अंग एक एक कर शीथिल होते जाते हैं और साथ छोड़ते चले जाते हैं। इसमें है, दांतों का टूट जाना, आंख से कम दिखाई पड़ना, कान से कम सुनाई पड़ना, हाजमा शक्ति का कम हो जाना और हाथ पैर कमजोर हो जाना। इसके अलावा, हृदय का धड़कन, सांसो का चलना और मष्तिष्क की क्षीण होती हुई गतिविधियां जीवन के अंत तक कायम रहती हैं। इस अवस्था में भी आजकल आदमी ९० से १०० तक जीवित रह रहा है।
मृत्यु को सही ढंग से समझने के लिए हमें नींद का अध्ययन करना होगा। नींद, बेहोशी और मृत्यु एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। जहाँ नींद और बेहोशी मानव चेतना का क्षणिक नुकसान है, वहीं मृत्यु एक स्थायी नुकसान है। शरीर में संश्लेषण और क्षरण होता रहता है। लेकिन जब क्षरण संश्लेषण पर हावी हो जाता है, तब शरीर तंत्र की व्यवस्था बिगड़ जाती है। इससे शरीर का क्रमिक ह्रास होता है और बुढ़ापा तथा बीमारियां धर दबोचती हैं और यही आदमी के मृत्यु का सबसे आम कारण है। शरीर मरता है क्योंकि जीवन के लिए आवश्यक उर्जा और जैविक प्रक्रियाएं रूक जाती हैं और शरीर का प्राकृतिक क्षय शूरू हो जाता है।
मृत्यु एक ऐसा निमंत्रण है, जिसे कोई भी अस्वीकार नहीं कर सकता। पृथ्वी पर प्रत्येक जीवित प्राणी को देर सबेर यह निमंत्रण आना ही है और इसका तरीका सबके लिए एक जैसा नहीं हो सकता है। उम्र हो जाने पर व्यक्ति का अपनी सांसो पर नियंत्रण धीरे धीरे कम होने लगता है। उसके अंदर अनेक परिवर्तन दिखाई पड़ने लगते हैं।
मृत्यु के निकट पहुँच चुका व्यक्ति ज्यादा समय सोना पसंद करता है। वो कम खाना चाहता है। वह शांत रहना पसंद करता है। हृदय शरीर में रक्त पंप करना बंद कर देता है, जिससे सभी अंगों तक आक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते हैं। मष्तिष्क की सभी गतिविधियां समाप्त हो जाती हैं। ऐसे में अगर हमलोग मृत्यु को शरीर की आंतरिक गति से आई हुई प्रक्रिया मानने को तैयार हो जायें और मरने वाले को शांति से मरने दें, तो मृत्यु ज्यादा सुखद होगा और इसका भय कम होगा।
लेकिन बिडम्बना यह है कि गरीब से लेकर अमीर तक व्यक्ति के मृत्यु के अंतिम क्षणों में उसे लेकर हास्पिटल में भर्ती कर देते हैं और उसे शांति से मरने नहीं देते हैं।
हास्पिटल में एक बार भर्ती होने के बाद मृत्यु से लड़ाई शूरू हो जाती है और पैसे का दोहन शूरू हो जाता है। ऐसा ज्यादा लोग इस लिए कर रहे हैं कि अगर अपने सगे को अंतिम क्षणों में हास्पिटल में भर्ती नहीं किया गया तो लोग क्या कहेंगे। वहाँ पहुंचने पर डाक्टर भी जानते हैं कि उक्त मरीज की मृत्यु अवश्यम्भावी है, परंतु जिन कुछ उपकरणों के माध्यम से मरीज को जितना समय जिंदा रखा जाय, ताकि हास्पिटल को आय होता रहे।
जीवन मृत्यु और मरीज के हास्पिटल में भर्ती रखने के क्रम में अनेकों गरीब परिवार नष्ट हो गये और मरीज अपनी अंतिम यात्रा पर चला गया। बहुत से अमीरों का भी दिवाला निकल गया। परंतु केवल एक भय से कि लोग क्या कहेंगे, आज कल लोग मरणासन्न मरीज को भी हास्पिटल में भर्ती कर दे रहे हैं और धड़ल्ले से हास्पिटल का यह व्यापार चल रहा है और लोग खुद लुट कर भी किसी को शांति से मरने नहीं दे रहे हैं। ऐसी सामाजिक परंपरा बन गयी है कि लोग मरीज के अंतिम क्षणों में, उसे ले जाकर हास्पिटल में भर्ती करेंगे ही। और वहाँ उन मरीजों को तो हास्पिटल खासकर तबतक छोड़ना नहीं चाहते हैं, जिनका इलाज इन्श्योरेंस के पैसे से, बिना नकदी दिये हो रहा है, और जब तक इन्श्योरेंस पालिसी का पूरा पैसा हास्पिटल वसुल नहीं कर लेता है, भले ही मरीज की मृत्यु हास्पिटल में ही क्यों न हो जाय। कुछ जगह तो ऐसा भी सुना जाता है कि, हास्पिटल मरीज की मृत्यु हो जाने पर उसका मृतक शरीर भी उसके परिजनों को तबतक नहीं सौंपते हैं, जबतक हास्पिटल का पूरा पैसे का भुगतान उनके द्वारा नहीं कर दिया जाता है।
मेरा मानना है कि ऐसे जीवन मृत्यु की हास्पिटल में लड़ाई और पैसे की अनर्गल बर्बादी को रोकने के लिए लोगों को कदम उठाने की जरूरत है और मृत्यु की अंतिम अवस्था में पहुंचे मनुष्य को शांति से और सम्मान से दूनिया से विदा करना चाहिए। ऐसा करने से मरीज भी शांति से मर सकेगा और परिवार भी अनर्गल बर्बादी से बच जाएगा। जहाँ तक लोगों के कहने का सवाल है, तो लोग तो कुछ कहेंगे हीं, क्योंकि लोगों का तो काम है कुछ कहना और कुछ कहते रहना। जाने वाले की शांति से मृत्यु और उनके आश्रितों की पैसे की बर्बादी से उनको क्या लेना देना। 
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag


0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com