"शिक्षक: ज्ञानदीपक"
पंकज शर्मा
शिक्षक केवल पठन-पाठन का साधक न होकर, तमसाम् अंधकार में दीपक सदृश प्रज्वलित होता है। सुगम-संकट मार्गों का पारगमन उसका कर्म, हृदयभूमि में विवेकवृक्ष के बीज वह अंकुरित करता है। सप्तरश्मि स्वप्नों को स्थायित्व प्रदान करना उसकी प्रेरणा, यथार्थ एवं आदर्श के सम्मिलन का प्रतीक है।
वह केवल दृश्य प्रकाश नहीं, अपितु आत्मा की अंतर्यात्रा में प्रकाश-संचारक है; उसका प्रभाव क्षणिक नहीं, अपितु जीवनपथ की अनवरत धारा में स्थायी प्रेरणा बनकर प्रवाहित होता है। शिक्षक की उपस्थिति में हर क्षण शिक्षा, विवेक एवं चरित्र निर्माण का महापर्व प्रतीत होता है।
वह संज्ञान एवं संवेदनाओं के पुल का निर्माण करता है, अज्ञान के गर्भ से निकलती समस्याओं का समाधान उसके मार्गदर्शन में संभव होता है। शिक्षक का योगदान केवल विद्या तक सीमित न होकर, जीवन-मूल्यों एवं सत्य की अनुभूति तक विस्तारित होता है। उसकी शिक्षाओं में समाहित अनुग्रह एवं अनुशासन, सीखने वाले को उज्ज्वल भविष्य की ओर प्रेरित करता है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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