खेतबा के डरिया चलेली गुजरिया मन ही में करत किलोल

- साहित्य अकादमी के कार्यक्रम “उन्मेष” में साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष ने भोजपुरी में सुनाया मर्म-स्पर्शी गीत
पटना , २५ सितम्बर। साहित्य अकादमी, दिल्ली के तत्वावधान में गाँधी मैदान पटना स्थित ज्ञान भवन में आज से आरम्भ हुए चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव के पहले दिन अक्का महादेवी सभागार में आयोजित कवि-सम्मेलन में, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ आज दूसरे ही रंग में रंगे नज़र आए। उन्होंने ने भोजपुरी में गीत ग़ज़ल सुना कर श्रोताओं को चकित और मुग्ध कर दिया । वे हिन्दी के गीतकार और लेखक माने जाते हैं।
उन्होंने भोजपुरी के इन पंक्तियों से अपने गीत का आरंभ किया कि “खेतबा के डरिया चलेली गुजरिया, मन ही में करत किलोल/ पिया मोर सुनर चढ़ल जबनिया, बोले निर्मोही मीठे बोल”!
इस गीत में उन्होंने एक सद्यः यौवना ग्राम्य-नायिका की अनुभूतियों की अभिव्यक्ति दी, जिसमें एक सुंदर और युवा किसान की नायिका होने को गौरव का विषय माना है। वह कहती है - सुन रे बटोहिया ! मोर पिया देसबा के किसान ! हमर बलमुआ न कोई अनपढ़, ऊ त बी ए पास/ बढिके आगा दूर नगर जा खेती पढ़ले खास/ अपने से लागि खेती कराबे बाँका छैला जवान ! सुन रे बटोहिया ! मोर पिया देसबा के किसान!”
भोजपुरी में एक ग़ज़ल पढ़ते हुए डा सुलभ ने बदलते दौर में तेजी से बदल रहे लोगों पर इन पंक्तियों से कटाक्ष किया कि - “ रऊआ देखते में केतना बदल गईंनी जी/ का रहनी, का भईंनी कि जी से उतर गईंनी जी”।इस ग़ज़ल के मक़ते का शेर पढ़कर उन्होंने सभी श्रोताओं को हाथ खोलने पर विवश कर दिया कि - “ ह सगरो फईलल अमावस, चली आईं सुलभ/ रहीं पुनो के चान, दूज के भईंनी जी”।
कवि-सम्मेलन के इस सत्र में संस्कृत में परांबा श्री योगमाया, डोगरी में बिशन सिंह “दर्दी”, कश्मीरी में सतीश विमल तथा अंग्रेजी में नंदिनी साहू ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। “हृदय के सूत्र: उत्तरी लेखक सम्मेलन” शीर्षक से आहूत हुए इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार प्रो अरुण कमल ने की। मंच का संचालन डा भावना शेखर ने किया।
प्रबुद्ध श्रोताओं में डा पूनम आनंद, कुमार अनुपम, प्रो रत्नेश्वर सिंह, डा पुष्प जमुआर, डा शिव नारायण, डॉ ऋचा वर्मा, डा मीना कुमारी परिहार, सिद्धेश्वर, शमा कौसर “शमा”, डा ओम प्रकाश जमुआर, डा ओम प्रकाश पांडेय, डा शशि भूषण सिंह, सागरिका राय, रंजीता सिंह, कृष्ण रंजन सिंह, प्रो सुखित वर्मा, नीता सहाय, उमेश मिश्र, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, पं गणेश झा, अरुण कुमार श्रीवास्तव, मनोरमा तिवारी, प्रवीर कुमार पंकज, उज्ज्वल कुमार , इन्दु भूषण सहाय आदि उपस्थित थे।
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