नवरात्रि: हाथी पर सवार होकर आ रही हैं माँ
सत्येन्द्र कुमार पाठक
शारदीय नवरात्रि, जो कि हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होती हैं, भारत में सबसे अधिक मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक हैं। इस नौ दिवसीय उत्सव में, भक्त माँ दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों की आराधना करते हैं। इस साल, 22 सितंबर 2025 से शुरू हो रही नवरात्रि का विशेष महत्व है, क्योंकि माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। यह आगमन समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा की शक्ति, साहस और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। पुराणों में महिषासुर नामक शक्तिशाली राक्षस का उल्लेख है, जिसके अत्याचारों से तीनों लोक त्रस्त थे। महिषासुर को कोई भी पुरुष या देवता हरा नहीं सकता था। तब सभी देवताओं ने अपनी सामूहिक ऊर्जा से देवी दुर्गा का आह्वान किया, जिन्होंने महिषासुर का वध कर देवताओं और मानवता को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। इसलिए, यह पर्व देवी दुर्गा के उस महाबलिदान और उनकी अदम्य शक्ति की आराधना का प्रतीक है। भगवान राम ने त्रेतायुग में रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए देवी दुर्गा की आराधना की थी। इस पूजा के बाद, उन्होंने दशमी तिथि को रावण का वध किया, यही कारण है कि विजयादशमी या दशहरा नवरात्रि के तुरंत बाद मनाया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
शास्त्रों के अनुसार, माँ दुर्गा हर साल एक विशेष वाहन पर सवार होकर आती हैं, और हर वाहन का अपना अलग महत्व होता है। इस साल, शारदीय नवरात्रि सोमवार, 22 सितंबर से शुरू हो रही है। जब नवरात्रि की शुरुआत सोमवार या रविवार को होती है, तो माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। हाथी को ज्ञान, समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, माँ का हाथी पर आगमन अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि यह आगमन देश में अच्छी वर्षा, सुख-समृद्धि और आर्थिक स्थिरता लेकर आता है। भक्तों की आर्थिक तंगी दूर होती है और उनके घर धन-धान्य से भर जाते हैं।
नवरात्रि का आरंभ घटस्थापना के साथ होता है, जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं। यह पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे शुभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए। तिथि: 22 सितंबर 2025, सोमवार प्रतिपदा तिथि का आरंभ: 22 सितंबर, रात 01 बजकर 23 मिनट पर , प्रतिपदा तिथि की समाप्ति: 23 सितंबर, रात 02 बजकर 55 मिनट पर घटस्थापना का शुभ मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 09 मिनट से सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक। यह मुहूर्त लगभग 2 घंटे का है। अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक है। नवरात्रि के पहले दिन, घटस्थापना के लिए इन सरल चरणों का पालन करें । स्वच्छता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर एक लकड़ी की चौकी रखें और उस पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। इस पर स्वास्तिक बनाएं। एक मिट्टी के पात्र में जौ या मिट्टी भरें। इसके ऊपर एक कलश रखें, जिसमें जल, सुपारी, सिक्का, अक्षत और कुछ फूल डालें। कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते रखें और उसके ऊपर एक नारियल रखें, जिसे लाल चुनरी से लपेटकर कलावा से बांधें। घटस्थापना हमेशा उत्तर या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में करनी चाहिए, क्योंकि यह शुभ मानी जाती है। : विधि-विधान से पूजा शुरू करने से पहले देवी माँ का आह्वान करें और पूरे नौ दिनों के व्रत का संकल्प लें।
इस साल, शारदीय नवरात्रि नौ के बजाय दस दिनों तक मनाई जाएगी। यह एक दुर्लभ संयोग है, जो चतुर्थी तिथि की वृद्धि के कारण हो रहा है। इसका मतलब है कि चौथा नवरात्रि दो दिनों तक मनाया जाएगा: 25 और 26 सितंबर।
22 सितंबर (सोमवार): माँ शैलपुत्री पूजा (घटस्थापना) , 23 सितंबर (मंगलवार): माँ ब्रह्मचारिणी पूजा , 24 सितंबर (बुधवार): माँ चंद्रघंटा पूजा , 25 सितंबर (गुरुवार): माँ कूष्माण्डा पूजा , 26 सितंबर (शुक्रवार): माँ कूष्माण्डा पूजा (वृद्धि के कारण) , 27 सितंबर (शनिवार): माँ स्कंदमाता पूजा ,28 सितंबर (रविवार): माँ कात्यायनी पूजा ,29 सितंबर (सोमवार): माँ कालरात्रि पूजा , 30 सितंबर (मंगलवार): माँ महागौरी पूजा (दुर्गा अष्टमी) ,01 अक्टूबर (बुधवार): माँ सिद्धिदात्री पूजा (महा नवमी) ,02 अक्टूबर (गुरुवार): माँ दुर्गा विसर्जन (दशहरा) दस दिवसीय उत्सव में, प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक विशेष स्वरूप की पूजा की जाती है, जिनका अपना अलग महत्व है। माँ दुर्गा के नौ स्वरूप में शैलपुत्री: हिमालय की पुत्री, स्थिरता और शक्ति का प्रतीक।ब्रह्मचारिणी: तप और साधना की देवी, ज्ञान और त्याग का प्रतीक।चंद्रघंटा: शांति और साहस का प्रतीक।कूष्माण्डा: ब्रह्मांड की निर्माता, ऊर्जा और रचनात्मकता की देवी।स्कंदमाता: मातृत्व और प्रेम की प्रतीक।कात्यायनी: शक्ति और न्याय की देवी।कालरात्रि: भय को दूर करने वाली और दुष्टों का नाश करने वाली देवी।महागौरी: पवित्रता और शुद्धता की देवी।सिद्धिदात्री: सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी है। 2025 की शारदीय नवरात्रि विशेष रूप से फलदायी है, क्योंकि माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर भक्तों के जीवन में समृद्धि और सौभाग्य लाने वाली हैं। यह समय भक्ति, साधना और परिवार के साथ आनंद मनाने का है।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com