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सितंबर 2025 के कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार

सितंबर 2025 के कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार

हर हर महादेव!!

लेखक:रवि शेखर सिन्हा उर्फ आचार्य मनमोहन।

ज्योतिष मार्तंड एवं जन्म कुंडली विशेषज्ञ।
मैं आप सबको और आप सबके हृदय में विराजमान ईश्वर को प्रणाम करता हूं और धन्यवाद करता हूं। अंग्रेजी कैलेंडर के 2025 के सितंबर महीने में भारतीय विक्रम संवत पंचांग के अनुसार भाद्रपद और अश्विन का महीना सम्मिलित है। भाद्रपद मास और आश्विन मास के अधिपति देवी देवताओं को नमन करते हुए, प्रणाम करते हुए और धन्यवाद करते हुए हम चर्चा करेंगे सितंबर 2025 के कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों के बारे में।
अभी चतुर्मास चल रहा है। सृष्टि के पालनहार श्री हरि भगवान विष्णु इस समय योग निद्रा में हैं। अतः सृष्टि संचालन का कार्य शिव परिवार कर रहे हैं। भाद्रपद मास का संचालन भगवान श्री गणेश करते हैं। भाद्रपद का महीना भगवान श्री गणेश जी को समर्पित होता है। इसी भाद्रपद महीने में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में समस्त विश्व में बड़े ही श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया जाता है। श्री गणेश दशहरा भी समस्त संसार में बड़े भक्ति भाव से मनाया जाता है। भाद्रपद मास की चतुर्दशी तिथि को श्री अनंत चतुर्दशी की पूजा की जाती है और आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पितरों की प्रसन्नता के लिए, दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए पितृपक्ष में विशेष पूजा अर्चना पितरों के निमित्त किया जाता है।

7 सितंबर 2025 तक भाद्रपद शुक्ल पक्ष होगा। उसके पश्चात 8 सितंबर 2025 से 21 सितंबर 2025 तक आश्विन कृष्ण पक्ष होगा। आश्विन माह की अधिपति माता भगवती दुर्गा महारानी होती हैं। आश्विन शुक्ल पक्ष में मां दुर्गा की पूरे विश्व में बड़े धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती है।22 सितंबर 2025 से 7 अक्टूबर 2025 तक आश्विन शुक्ल पक्ष होगा। अश्विन का पूरा महीना ही धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। जिसमें प्रथम कृष्ण पक्ष पितरों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। जिसे हम पितृपक्ष कहते हैं। आश्विन कृष्ण पक्ष पूरे 15 दिनों का है। जबकि आश्विन शुक्ल पक्ष दुर्गा पूजा, दशहरा के रूप में मनाया जाता है। जिसे शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है।चतुर्थी तिथि की वृद्धि होने के कारण आश्विन शुक्ल पक्ष 16 दिनों का हो गया है।



3 सितंबर बुधवार को पदमा एकादशी का व्रत गृहस्थ और वैष्णव दोनों के लिए सर्वमान्य होगा।

इस एकादशी को बिहार और झारखंड प्रदेश में डोल ग्यारस के नाम से जाना जाता है।



4 सितंबर गुरुवार को भगवान श्री हरि विष्णु के वामन अवतार का जन्मोत्सव वामन जयंती के रूप में मनाया जाएगा।



5 सितंबर शुक्रवार को प्रदोष व्रत होगा। आज शिक्षक दिवस है। भारतवर्ष के भूतपूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन के जन्मोत्सव के रूप में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।



6 सितंबर शनिवार को श्री अनंत चतुर्दशी का व्रत होगा। दोपहर के समय भगवान श्री अनंत देव की पूजा और कथा सुनकर अनंत के डोरे को धारण करने का विधान है। 10 दिनों से चला आ रहा श्री गणेश उत्सव, गणेश दशहरा का आज समापन हो जाएगा। आज भगवान श्री गणेश की प्रतिमा का जल में विसर्जन किया जाएगा।



7 सितंबर रविवार को स्नान दान और व्रत की पूर्णिमा होगी। आज से महालय आरंभ हो जाएगा। अर्थात श्राद्ध पक्ष की शुरुआत आज से हो जाएगी।

वर्ष 2025 का भारत वर्ष में लगने वाला आज पहला ग्रहण होगा। यह खग्रास चंद्र ग्रहण पूरे भारतवर्ष में दिखाई देगा। भारतवर्ष के अलावा अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, हिंद महासागर, यूरोप, पूर्वी अटलांटिक महासागर में भी यह चंद्र ग्रहण दिखाई देगा।

इस ग्रहण का स्पर्श रात 9:57 पर होगा। ग्रहण का मध्य समय रात्रि 11:41 पर होगा और रात्रि 1:27 पर ग्रहण समाप्त हो जाएगा। 3 घंटे 28 मिनट तक चलने वाला यह खग्रास चंद्र ग्रहण पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र और कुंभ राशि में लगेगा। अतः जिनका भी जन्म पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में अथवा कुंभ राशि में हुआ है, ऐसे लोगों को इस चंद्र ग्रहण का दर्शन नहीं करना चाहिए। इस खग्रास चंद्र ग्रहण से सबसे अधिक मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों को सावधान रहना चाहिए। इन सभी राशि वालों के लिए यह चंद्र ग्रहण अच्छा नहीं है अर्थात अशुभ फल प्रदायक हो सकता है।

जबकि मेष राशि, वृष राशि, धनु राशि और कन्या राशि वालों को लाभ मिलेगा।



जिनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा नीच राशि में हों या जन्म कुंडली के चौथे, छठे, आठवें या बारहवें घर में बैठे हों, अशुभ स्थिति में हों, चंद्रमा पीड़ित हो तो ऐसे व्यक्तियों पर इस चंद्र ग्रहण का अशुभ प्रभाव पड़ता है।

जिन राशियों के लिए ग्रहण शुभ फलदायक नहीं है उन्हें ग्रहण कल के समय चंद्रमा के मंत्रों का जाप करना चाहिए। श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथो का अध्ययन करना चाहिए। श्री हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक और बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए‌

चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले लग जाता है अतः 7 सितंबर 2025 की दोपहर 12:57 से चंद्र ग्रहण का सूतक आरंभ हो जाएगा जिसके कारण 12:57 से लेकर रात्रि 2:00 बजे तक भोजन शयन कर्मकांड मंदिर में प्रवेश भगवान की मूर्तियों का स्पर्श करना मैथुन क्रिया और यात्रा करना वर्जित होता है। ग्रहण के सूतक काल में भोजन नहीं करना चाहिए। शौच इत्यादि क्रियाओं से बचना चाहिए। किंतु छोटे बालक, वृद्ध, अस्वस्थ, बीमार और गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के सूतक काल का दोष नहीं लगता। उन्हें भोजन, विश्राम और शौच इत्यादि का नियम पालन करने की आवश्यकता नहीं होती। सूतक लगने से पूर्व भोजन सामग्री जैसे दूध, दही, घी इत्यादि में, कच्चे अनाज के बर्तनों में तुलसी के पत्ते अथवा कुश के टुकड़े रख देना चाहिए। ग्रहण कल की समाप्ति अर्थात मोक्ष के बाद पीने का पानी बदलकर नया ताजा पानी लेना चाहिए। सूतक काल में यदि जल पीने की इच्छा हो प्यास लगे तो जल में तुलसी के पत्ते डालकर सेवन किया जा सकता है। किंतु ग्रहण के समय रात्रि 11:57 से 1:27 तक बालक, वृद्ध गर्भवती महिलाएं और अस्वस्थ व्यक्ति को भी भोजन शौच इत्यादि क्रियाओं से बचना चाहिए। ग्रहण के समय सूतक काल से लेकर ग्रहण के मोक्ष होने तक गर्भवती महिलाओं के लिए किसी भी प्रकार की वस्तु को काटना, छीलना, जलाना या तोड़ना वर्जित होता है।चूल्हा जलाना, भोजन पकाना इत्यादि भी गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा नहीं होता। ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। यथासंभव शयन नहीं करना चाहिए। यदि विश्राम करना हो अथवा नींद आ रही हो, तो ग्रहण के सूतक लगने से पहले ही अपने शरीर की लंबाई के अनुसार किसी छड़ी अथवा लकड़ी को अपने शरीर से स्पर्श करा कर घर के किसी कोने में सीधा करके खड़ा करके रख देना चाहिए। उसके बाद गर्भवती महिलाओं को विश्राम करने, बैठने और शयन करने का कोई दोष नहीं लगता। ग्रहण के पश्चात उस लकड़ी को यथा संभव जल में विसर्जित कर देना चाहिए।

ग्रहण की समाप्ति पर स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए और अन्न (कच्चे अनाज) का दान करना चाहिए।



8 सितंबर सोमवार से पितृपक्ष आरंभ हो जाएगा। साथ ही आश्विन कृष्ण पक्ष भी आरंभ हो जाएगा।

सप्तमी तिथि का अक्षय हो जाने के कारण आश्विन कृष्ण पक्ष 14 दिनों का हो गया है। दिवंगत पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष अर्थात श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त दान इत्यादि किए जाएंगे। पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाएगा। यदि पितरों की मृत्यु की तिथि की जानकारी ना हो तो अमावस्या तिथि को पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए अथवा पितृपक्ष में पड़ने वाले भरणी नक्षत्र में दिवंगत पितरों के निमित्त श्राद्ध तर्पण का कार्य किया जा सकता है।भरणी नक्षत्र यमराज का जन्म नक्षत्र माना जाता है। मृत्यु के पश्चात प्रत्येक दिवंगत व्यक्ति को भरणी नक्षत्र प्राप्त होता है। अतः भरणी नक्षत्र में ज्ञात अज्ञात पितरों के निर्मित किया गया श्राद्ध और तर्पण श्रेष्ठ पुण्य प्रदान करता है।



10 सितंबर बुधवार को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत होगा।



14 सितंबर रविवार को जीवित्पुत्रिका व्रत होगा। आज के दिन सभी माताएं अपनी संतान विशेष रूप से पुत्रों के दीर्घायु अर्थात लंबी आयु की और उत्तम स्वास्थ्य की कामना से 24 घंटे निर्जला, निराहार रहकर कठिन तपस्या करते हुए जीवित्पुत्रिका का व्रत करती हैं। इस व्रत में मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही राजा जीमूतवाहन की भी पूजा की जाती है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार सप्तमी अष्टमी युक्त तिथि में जीवित्पुत्रिका का व्रत करना अशुभ माना जाता है। अतः उदया तिथि में अष्टमी तिथि पड़ने पर ही यह व्रत किया जाता है। अष्टमी नवमी संयुक्त तिथि में जीवित्पुत्रिका का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ शुभ फलदायक माना जाता है।

इस वर्ष 13 सितंबर 2025 शनिवार की सुबह 7:23 से प्रातः काल 5:04 तक क्षयवती सप्तमी तिथि रहेगी। उसके पश्चात सुबह 5:05 से अष्टमी तिथि आरंभ हो जाएगी। अतः 14 सितंबर रविवार की प्रातः काल सूर्योदय से पहले विशेष रूप से सुबह 5:00 बजे से पहले ही *सरगी* का प्रयोग कर लेना चाहिए। अर्थात दूध,चाय, जल, फल, नारियल पानी, नींबू शरबत, दही इत्यादि का सेवन कर लेना चाहिए। उसके बाद अगले दिन 15 सितंबर सोमवार की प्रातः काल सूर्योदय तक निर्जला और निराहार रहकर व्रत धारण करना चाहिए। हालांकि 14 सितंबर रविवार को सूर्योदय से पहले ही अष्टमी तिथि समाप्त होकर सुबह 3:06 से नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। किंतु सूर्योदय के पश्चात ही व्रत का पारण करना चाहिए। व्रत का पारण खीरा, ककड़ी के साथ दूध पीकर करना चाहिए।



आज हिंदी दिवस है। हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए पूरे भारतवर्ष में आज हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी भाषा में लिखना, पढ़ना और बातचीत करना इसमें विशेष रूप से शामिल है।



17 सितंबर बुधवार को इंदिरा एकादशी का व्रत गृहस्थ और वैष्णव दोनों के लिए सर्वमान्य होगा। आज भगवान श्री विश्वकर्मा का जन्मदिन है। आज पूरे विश्व में भगवान श्री विश्वकर्मा का जन्मोत्सव श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया जाएगा। भगवान श्री विश्वकर्मा को धन्यवाद करते हुए घर, वाहन और सभी प्रकार के यंत्रों की पूजा की जाती है।



18 सितंबर गुरुवार को गुरु पुष्य सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग पूरे दिन मिल रहा है। इस योग में किया गया प्रत्येक कार्य उच्च कोटि की सफलता प्रदान करने वाला होता है।



19 सितंबर शुक्रवार को प्रदोष व्रत होगा। आज मासिक शिवरात्रि का व्रत भी है।



21 सितंबर रविवार को स्नान दान श्राद्ध की अमावस्या है। आज सर्वपितृ अमावस्या भी है। पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण आज किया जाएगा। इस प्रकार आज पितृ तर्पण के साथ ही श्राद्ध पक्ष समाप्त हो जाएगा।

आज सूर्य ग्रहण लगने वाला है। किंतु यह खण्ड सूर्य ग्रहण भारतवर्ष में दिखाई नहीं देगा। भारतीय मानक समय के अनुसार इस सूर्य ग्रहण का प्रारंभ रात 11:00 से होगा और ग्रहण की समाप्ति रात्रि 3:24 पर होगी। इस ग्रहण का भारतवर्ष में कोई भी प्रभाव नहीं होगा। क्योंकि भारतवर्ष में इस समय रात का समय होगा। सूर्य ग्रहण दिन के समय मान्य होता है। यह ग्रहण विदेशों में माना जाएगा। क्योंकि वहां पर दिन का समय होगा। अतः किसी भी प्रकार के भ्रम में ना पड़े। ग्रहण जहां दिखाई नहीं देता है, वहां पर सूतक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और ग्रहण से संबंधित किसी भी यम नियम का पालन नहीं किया जाता।



22 सितंबर सोमवार से आश्विन शुक्ल पक्ष आरंभ होगा। आज से शारदीय नवरात्र आरंभ हो जाएगा। तृतीया तिथि की वृद्धि हो जाने के कारण आश्विन शुक्ल पक्ष 16 दिनों का हो गया है।

आज महाराजा अग्रसेन का जन्म दिवस मनाया जाएगा।

आज से शारदीय नवरात्र आरंभ हो जाएगा। पूरे दिन उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र होने के कारण घट स्थापना अर्थात कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह से लेकर शाम तक मिल रहा है। अतः अपनी सुविधा अनुसार राहुकाल का समय छोड़कर किसी भी समय घटस्थापना किया जा सकता है। मां जगदंबा के प्रथम स्वरूप में आज माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाएगी। इस नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा। जिसके कारण पूरे विश्व में भरपूर वर्षा होगी। अत्यधिक वर्षा के कारण पूरी पृथ्वी जल से परिपूर्ण रहेगी।

जबकि विजयदशमी अर्थात दशहरा 2 अक्टूबर को गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। गुरुवार को दशहरा पड़ने के कारण मां दुर्गा का प्रस्थान डोला वाहन अर्थात नर वाहन पर होगा। मां दुर्गा का प्रस्थान भी बहुत ही शुभ फलकारी है। इस प्रकार इस वर्ष की नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान दोनों ही शुभ फल प्रदान करने वाला है। साथ ही नवरात्र में तिथि की वृद्धि होना भी शुभ फल कारक है। अतः इस वर्ष नवरात्रि में मां भगवती की पूजा आराधना करके उनका विशेष आशीर्वाद, उनकी विशेष कृपा प्राप्त करना चाहिए।



23 सितंबर मंगलवार को चंद्र दर्शन होगा।



25 सितंबर गुरुवार को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत होगा।



26 सितंबर शुक्रवार को उपांग ललिता का व्रत होगा। यह व्रत महाराष्ट्र प्रांत में सर्वाधिक प्रसिद्ध है।



30 सितंबर मंगलवार को श्री दुर्गा अष्टमी का व्रत होगा।

*नवरात्र व्रत की पारण से संबंधित विशेष जानकारी*

1 अक्टूबर बुधवार को शाम 7:00 बजे तक नवमी तिथि है। उसके बाद दशमी तिथि का प्रवेश हो जाएगा। इस वर्ष नवरात्रि में तृतीया तिथि की वृद्धि हो जाने के कारण नवरात्रि का आज दसवां दिन होगा। नवरात्रि व्रत का पारण 1 अक्टूबर बुधवार की शाम 7:00 बजे के बाद कर लेना चाहिए। अतः हवन यज्ञ कुमारी पूजन, कुमारी कन्याओं का भोजन इत्यादि का कार्यक्रम शाम 6:00 बजे से पहले पूरा कर लेना चाहिए। 7:00 बजे के बाद कलश का विसर्जन कर देना चाहिए और कुमारी पूजन के निमित्त बना हुआ भोजन को प्रसाद के रूप में पहले ग्रहण कर लेना चाहिए। उसके बाद दूसरे प्रकार के अन्न का सेवन करना चाहिए।

2 अक्टूबर गुरुवार को उदया तिथि में विजयदशमी अर्थात दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। सभी दुर्गा पांडालों में स्थित मां जगदंबा की प्रतिमाओं का आज जलाशय में विसर्जन किया जाएगा।



*विशेष टिप्पणी*

14 सितंबर रविवार के दिन में की सुबह 7:05 पर भगवान सूर्य उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। 17 सितंबर बुधवार की शाम 4:59 पर भगवान सूर्य सिंह राशि को छोड़कर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे।



रविवार के दिन अमावस्या पड़ रही है। जिसके कारण प्राकृतिक आपदाओं से जनमानस को कष्ट पहुंचेगी।

27 सितंबर शनिवार की रात 10:14 पर भगवान सूर्य हस्त नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। जिसके कारण वर्षा की मात्रा थोड़ी कम हो जाएगी।।

इति शुभमस्तु!! कल्याणमस्तु!!
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