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तृतीय भारतीय न्यूरो-रीहैबिलिटेशन कॉन्फ्रेंस ऑफ ऑक्यूपेशनल थेरेपी 2025 : शोध, शिक्षा और अनुभव का संगम

तृतीय भारतीय न्यूरो-रीहैबिलिटेशन कॉन्फ्रेंस ऑफ ऑक्यूपेशनल थेरेपी 2025 : शोध, शिक्षा और अनुभव का संगम

नई दिल्ली, 19 सितम्बर।
भारत में न्यूरो-रीहैबिलिटेशन और ऑक्यूपेशनल थेरेपी जैसे उभरते हुए चिकित्सा क्षेत्र को नई दिशा देने के उद्देश्य से तृतीय भारतीय न्यूरो-रीहैबिलिटेशन कॉन्फ्रेंस ऑफ ऑक्यूपेशनल थेरेपी (INCOT 2025) का आयोजन 19 से 21 सितम्बर तक नई दिल्ली स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर, वसंत कुंज में किया जा रहा है। इस त्रिदिवसीय सम्मेलन का आयोजन चे़तन फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है।
यह सम्मेलन केवल एक शैक्षणिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि देश-विदेश के विशेषज्ञों, चिकित्सकों और छात्रों के लिए अनुभव साझा करने और नवीनतम शोध से जुड़ने का अवसर है। न्यूरो-रीहैबिलिटेशन के क्षेत्र में यह आयोजन विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह न केवल चिकित्सा विज्ञान की प्रगति को रेखांकित करता है बल्कि दिव्यांगजन सशक्तिकरण और समाज के वंचित वर्गों तक गुणवत्तापूर्ण उपचार पहुँचाने के प्रयासों को भी गति देता है।
प्री-कॉन्फ्रेंस कार्यशाला : प्रयोग और सीख का अवसर

सम्मेलन की शुरुआत 19 सितम्बर को प्री-कॉन्फ्रेंस कार्यशाला से हुई। इसका मुख्य विषय स्प्लिन्टिंग एवं कॉग्निटिव न्यूरो-रीहैबिलिटेशन रखा गया। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को न केवल सैद्धांतिक जानकारी दी जा रही है बल्कि उन्हें प्रत्यक्ष प्रायोगिक प्रशिक्षण का भी अवसर मिल रहा है। कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञ डॉक्टरों ने ऐसे तरीकों और चिकित्सीय रणनीतियों पर चर्चा की जो रोगियों की कार्यक्षमता को बहाल करने और जीवन की गुणवत्ता सुधारने में सहायक होती हैं।

इस कार्यशाला में वक्ता के रूप में डॉ. दीपक, डॉ. शुभा, डॉ. गीता, डॉ. नूर और डॉ. सहज़ादी शामिल हुए। उनके मार्गदर्शन में प्रतिभागियों को न केवल आधुनिक तकनीकों का ज्ञान मिला बल्कि उन्हें व्यावहारिक रूप से समझने और उपयोग करने का भी अवसर प्रदान किया गया।

मुख्य सम्मेलन का आयोजन 20 और 21 सितम्बर को होगा। इस दौरान देश-विदेश के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ अपने शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे और अनुभव साझा करेंगे। इनमें डॉ. सुजाता, डॉ. स्मिता, डॉ. मंजुषा, डॉ. रूचि, डॉ. दीपा, डॉ. मुरली और डॉ. रॉबिन जैसे जाने-माने नाम शामिल हैं।

इन विशेषज्ञों के व्याख्यान से प्रतिभागियों को न्यूरो-रीहैबिलिटेशन की जटिलताओं, चुनौतियों और संभावनाओं पर व्यापक दृष्टिकोण मिलेगा। इसके साथ ही यह सम्मेलन चिकित्सकों और छात्रों के बीच आपसी संवाद को भी प्रोत्साहित करेगा, जिससे चिकित्सा क्षेत्र में नए विचार और दृष्टिकोण विकसित हो सकेंगे।

इस सम्मेलन का आयोजन चे़तन फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है। संगठन के निदेशक डॉ. संतोष कुमार (पीएचडी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी) ने बताया कि चे़तन फाउंडेशन लंबे समय से न्यूरो-रीहैबिलिटेशन, दिव्यांगजन सशक्तिकरण, प्रशिक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। संगठन का मुख्य उद्देश्य है – पेशेवरों और लाभार्थियों को शोध, शिक्षा और क्षमता निर्माण के माध्यम से सशक्त बनाना।

डॉ. संतोष का मानना है कि इस तरह के सम्मेलन केवल अकादमिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत आवश्यक हैं। इनके माध्यम से न केवल चिकित्सकों को नई जानकारी मिलती है बल्कि आमजन को भी गुणवत्तापूर्ण उपचार और पुनर्वास सेवाओं का लाभ मिलता है।
आयोजन सचिव की भूमिका

इस सम्मेलन के संचालन और संयोजन की जिम्मेदारी डॉ. प्रियदर्शी आलोक, एसोसिएट प्रोफेसर, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, BCPO, पटना को सौंपी गई है। उन्होंने इस सम्मेलन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी सक्रियता और योजनाबद्ध प्रयासों से यह आयोजन आकार ले सका है।

डॉ. प्रियदर्शी आलोक का कहना है कि यह सम्मेलन केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है जो आने वाले समय में ऑक्यूपेशनल थेरेपी और न्यूरो-रीहैबिलिटेशन के क्षेत्र में नई दिशा तय करेगा।
महत्व और अपेक्षाएँ

आज के समय में न्यूरोलॉजिकल विकार और स्पाइनल इंजरी जैसी समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में ऑक्यूपेशनल थेरेपी और न्यूरो-रीहैबिलिटेशन की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाती है। यह सम्मेलन चिकित्सकों और छात्रों को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के आयोजन न केवल अकादमिक स्तर पर बल्कि नीति निर्माण और स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा तय करने में भी सहायक होते हैं। इसके जरिए नए शोध, नवीन तकनीक और प्रभावी उपचार पद्धतियाँ सामने आती हैं, जिनका लाभ सीधे तौर पर रोगियों और समाज को मिलता है।

INCOT 2025 का यह आयोजन केवल चिकित्सीय ज्ञान का आदान-प्रदान ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच को बेहतर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। चे़तन फाउंडेशन और इसके सहयोगियों का यह प्रयास निश्चित ही आने वाले समय में न्यूरो-रीहैबिलिटेशन और ऑक्यूपेशनल थेरेपी को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।

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