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भगवा, सनातन और हिंदू : मूल एक ही !

भगवा, सनातन और हिंदू : मूल एक ही !

हाल ही में मालेगांव बम विस्फोट मामले का निर्णय आया और न्यायालय ने इस मामले में घसीटे गए निर्दोष हिंदुओं को निर्दोष मुक्त किया । इस घटना से कांग्रेस द्वारा जानबूझकर ‘भगवा आतंकवाद’ या ‘हिंदू आतंकवाद’ प्रचलित करने के प्रयास का षड्यंत्र उजागर हो गया। नस-नस में हिंदूद्वेष से भरे हुए कांग्रेसी का इस निर्णय से आहत होना स्वाभाविक था। उनका हिंदू द्वेष ‘सनातनी आतंकवाद’ जैसे शब्द प्रयोग से एक बार पुनः सामने आया। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने ‘भगवा आतंकवाद’ नहीं, लेकिन ‘सनातन आतंकवाद’ जरूर है, इस आशय का वक्तव्य दिया। उसी बात को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस के जितेन्द्र आव्हाड ने ‘छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का विरोध करने वाले और छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या का षडयंत्र रचने वाले सनातनी आतंकवादी ही हैं’, ऐसा विषवमन किया। इन दोनों वक्तव्यों से यह स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की बात क्यों करते हैं।
कांग्रेस की हिंदू-द्वेषी मानसिकता: ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द की निरर्थकता राष्ट्रीय स्तर पर सिद्ध हो जाने के बाद अब इस शब्द के जनक रहे कांग्रेसी एक कदम पीछे हटे हैं। पृथ्वीराज चव्हाण को अब यह अनुभूति हो रही है कि भगवा रंग वारकरी संप्रदाय का, स्वतंत्रता संग्राम का रंग है। तो फिर जब कांग्रेस ‘भगवा आतंकवाद’ का झूठा सिद्धांत रच रही थी, तब उन्होंने अपनी बुद्धि कहां गिरवी रख दी थी? तब उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि भगवा रंग पवित्रता का प्रतीक है? जब उन पर आलोचनाओं की बौछार हुई, तब उन्होंने कहा कि ‘सनातन धर्म नहीं, किंतु सनातन संस्था आतंकी है और संस्था पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए’। ‘कुत्ते की पूंछ टेढ़ी ही क्यों होती है’, इसका उत्तर पृथ्वीराज चव्हाण की हिंदू-द्वेषी मानसिकता में मिलता है। स्वतंत्रता के पश्चात मा. गांधी की हत्या के बाद कांग्रेसियों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लक्ष्य बनाया, 26/11 के मुंबई पर आतंकी हमले के समय पुणे के ब्राह्मणों को निशाना बनाने का प्रयास किया, मालेगांव के समय अभिनव भारत को निशाना बनाया और आज वे सनातन संस्था को निशाना बना रहे हैं। हिंदू धर्म को या कम से कम हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों, व्यक्तियों या नेताओं को निशाना बनाया जाए इसी मानसिकता से कांग्रेसी और साम्यवादी सक्रिय हैं। केरल, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में जब हिंदुत्वनिष्ठों के ‘सर तन से जुदा’ हो रहे हैं, तब कांग्रेसियों को किसी आतंकवाद की अनुभूति नहीं होती; लेकिन हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों में उन्हें आतंक नजर आता है। सनातन संस्था हिंदू धर्म प्रसार का दीप्तिमान कार्य कर रही है। संस्था का सारा कार्य वैधानिक कक्षा में रहते हुए ही चलता है। इसलिए सनातन पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करना, यह हिंदू-द्वेष की आग को शांत करने का ही एक हिस्सा है। फिर भी, यह अच्छा ही हुआ कि कांग्रेस की ही केंद्र सरकार ने वर्ष 2012-13 में स्पष्ट रूप से कहा कि सनातन संस्था पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। आसुरी शक्तियाँ चाहे जितनी भी प्रबल क्यों न हों, धर्म का कार्य करने वालों के पीछे साक्षात् भगवान होते हैं यह इसकी प्रत्यक्ष अनुभूति मानी जानी चाहिए।
कुछ समय पहले कांग्रेसी नेता सुशील कुमार शिंदे ने यह स्वीकार किया था कि ‘पार्टी के आदेश पर ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द बोला; मुझे वह शब्द नहीं बोलना चाहिए था। वह गलत था।’ इस स्वीकारोक्ति से यह सिद्ध होता है कि कांग्रेस पार्टी में हिंदुओं को अपमानित करने की ‘स्क्रिप्ट’ लिखी जाती थी और कांग्रेसी नेता उसका मंचन किया करते थे। अंधश्रद्धा निर्मूलन के नाम पर हिंदू द्वेष फैलाने वाले डॉ. दाभोलकर की हत्या के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने जो यह ‘स्टेटमेंट’ दिया था कि ‘इस हत्या के पीछे गोडसेवादी प्रवृत्तियों का हाथ हो सकता है’, वह भी इसी ‘स्क्रिप्ट’ का हिस्सा रहा होगा, यह अलग से बताने की आवश्यकता नहीं। मालेगांव बम विस्फोट में भी आदरणीय सरसंघचालक मोहन भागवत जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नाम दमनपूर्वक बुलवाए जाएं इसके पीछे किसका ‘हाथ’ था, इसका अनुमान लगाना हिंदू समाज के लिए कठिन नहीं है। इसलिए पृथ्वीराज चव्हाण को ‘भगवा’ रंग पवित्र प्रतीत होना, यह उनके ‘डैमेज कंट्रोल’ का हिस्सा हो सकता है। स्पष्ट है कि ऐसे लोग चाहे जितनी सफाई दें, किंतु हिंदू विरोधी मानसिकता से ग्रसित इन प्रवृत्तियों को हिंदू समाज भली भांति पहचान चुका है ।
सनातन, हिंदू, वैदिक, आर्य और भगवा इनकी जड़ एक ही है : ‘ब्रेकिंग इंडिया फोर्सेस’ आज भारत की शक्ति को कमज़ोर करने के लिए हिंदुत्व पर प्रहार कर रही हैं। 'हिंदू और हिंदुत्व अलग हैं' ऐसा वक्तव्य हो, 'आर्य बाहर से आए थे' ऐसा वक्तव्य हो, या फिर 'मैं दुर्घटनावश हिंदू हूँ' यह वक्तव्य हो! इनका उद्देश्य हिंदुओं और भारत का विभाजन करना है। हिंदुओं की दृष्टि से सनातन, हिंदू, वैदिक, आर्य ये सभी शब्द समानार्थी हैं। सनातन धर्म अर्थात हिंदू धर्म, अर्थात आर्य और वैदिक धर्म! आर्यों के ध्वज का रंग केसरिया यानी भगवा है। संपूर्ण विश्व के कल्याण का उद्देश्य रखने वाले ऋषि-मुनियों के वस्त्रों का रंग भी भगवा ही है। इसलिए, कांग्रेसियों द्वारा भगवा और सनातन में भेद करने का प्रयास करना, यह हिंदू विरोधी 'स्क्रिप्ट' की ही एक कथा है। 'भगवा आतंकवाद' के षड्यंत्र का संपूर्ण नाश करना हो, तो हिंदू विरोधियों को भारत और हिंदू के विरुद्ध षड्यंत्र करने की सोच भी न आए, ऐसी शक्ति या डर उत्पन्न करना, यह हिंदुओं का कर्तव्य बनता है।
संक्षेप में, चाहे काँग्रेसी ‘ग़ज़वा-ए-हिंद’ चाहें, परंतु काल के विधान के अनुसार भारत ‘भगवा-ए-हिंद’ अर्थात हिंदू राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है। उस समय भगवा का विरोध करने वालों के नाम काले अक्षरों में, और सनातन धर्म के पक्ष में लड़ने वालों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाएंगे यह निश्चित है!
संकलक : श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
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