थिरकती है दुनिया,युवा स्वर लय ताल पर
विश्व धरा अति आह्लादित,
यथार्थ रूप स्वप्न माला ।
नैराश्य नित ओझल पथ,
हर कदम दर्शित उजाला ।
हिय हिलोर उत्साह उमंग,
लक्ष्य ध्यान सतत श्रम ढाल कर ।
थिरकती है दुनिया,युवा स्वर लय ताल पर ।।
सकारात्मक सोच विचार,
परिवेशीय अनूप संचेतना ।
कर्तव्य आहूत अधिकार पूर्व,
मानवता उत्थान तरंग मेघना ।
असंभवता शब्द पटाक्षेप,
बुलंद हौसली उबाल भर ।
थिरकती है दुनिया,युवा स्वर लय ताल पर ।।
नवाचार समावेशी विकास सेतु,
सहर्ष निर्वहन परंपरा संस्कार ।
अपनत्व संबंध आधारशिला,
निज संस्कृति हार्दिक सत्कार ।
आत्म विश्वास संग घनिष्ठ मैत्री,
समस्या समाधान पड़ताल कर ।
थिरकती है दुनिया,युवा स्वर लय ताल पर ।।
ज्ञान विज्ञान प्रौद्योगिकी सह,
प्रकृति संरक्षण परम बिंदु ।
सर्व धर्म समभाव सम्मान,
भाईचारा व्यवहार सिंधु ।
प्रोत्साहन नारी सशक्तिकरण,
नेतृत्व आरेख प्रगति भाल पर ।
थिरकती है दुनिया,युवा स्वर लय ताल पर ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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