श्रावण चतुर्थ सोमवार,शिव स्नेहिल कृपा वृष्टि अपार
शुभ मंगल सावन मनोरमा,शीर्ष बिंदु महादेव आराधना ।
भू पटल हरित नव यौवन,
रज रज उन्मुख शिव साधना ।
प्रबल धर्म आस्था अठखेलियां,
प्रकृति उत्संग अनंत आनंद धार ।
श्रावण चतुर्थ सोमवार,शिव स्नेहिल कृपा वृष्टि अपार ।।
हर कदम उन्मुख शिवालय,
सर्वत्र अप्रतिम आध्यात्म भोर ।
जल दूध दही शहद घी संग,
पंचामृत शिवलिंग अभिषेक छोर ।
अर्पण बेलपत्र सफेद पुष्प धतूरा,
श्वेत मिष्ठान भोग भाव आगार।
श्रावण चतुर्थ सोमवार,शिव स्नेहिल कृपा वृष्टि अपार ।।
विधिवत दिव्य पूजन पाठ,
मंत्रोच्चार संग शिव आह्वान ।
शिव चालीसा पठन मंगल,
हिय तांडव मंत्र ज्ञान ध्यान ।
सहज श्रोत सकारात्मक ऊर्जा,
अंतःकरण आत्म शुद्धि बहार ।
श्रावण चतुर्थ सोमवार,शिव स्नेहिल कृपा वृष्टि अपार ।।
सावन सोमवार छटा मनमोहक,
रग रग भोले भक्ति रंग उमंग ।
पग पग भव्य धार्मिक अनुष्ठान ,
जीवन चर्या सम मस्त मलंग ।
संकल्प सिद्धि पूर्णता स्पंदन,
धरा गगन गूंज भोले जयकार ।
श्रावण चतुर्थ सोमवार,शिव स्नेहिल कृपा वृष्टि अपार ।।
*कुमार महेंद्र*
(स्वरचित मौलिक रचना)
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