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अयोध्या नरेश विमलेंद्र मोहन प्रताप, उर्फ़ राजा जी के निधन पर शोक सभा का आयोजन

अयोध्या नरेश विमलेंद्र मोहन प्रताप, उर्फ़ राजा जी के निधन पर शोक सभा का आयोजन

गया जी/ स्थानीय डॉक्टर विवेकानंद पथ गोल बगीचा में अयोध्या नरेश उर्फ राजा जी पंडित विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा के आकस्मिक निधन पर भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के द्वारा एक शोक सभा का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े महासभा एवं मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर विवेकानंद मिश्र ने अपने उद्गार कहा की पीढियों से उपेक्षित शताब्दियों का ताप सहती सनातन आस्था का प्रतीक प्रभु राम लल्ला का भव्य मंदिर निर्माण में आज जिन मनुष्यों की मनीषा, तपस्वियों का ताप तथा महाराज अयोध्या विमलेंद्र प्रताप मिश्र के व्यापक संघर्ष का ही प्रतिफल देख रहे हैं, देश विदेश के संपूर्ण सनातन धर्म, मानवतावादियों को अपने कर्म त्याग तपस्या से रोमांचित किया है, आज वही कालजयी ईतिहासकार हम सबों के बीच से सदा- सर्वदा के लिए गोलोक धाम प्रस्थान कर गए। आज विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा का चरित्र, सद्भाव, सौमनस्य, दया, प्रेम, करुणा , सहानुभूति, अपनेपन की अनुभूतियों को जो उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी, उस संस्कृति को हम सबों की चेतना में जागृत करने आत्मसात करने की आवश्यकता है। जो भारतीयता का भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व है। उनसे सीख लेने संकल्प लेने का समय है। जिससे उनकी महान आत्मा को संतुष्टि शांति मिले। सम्मानित साहित्यकार आचार्य राधा मोहन मिश्रा माधव ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि आज हमारे समाज ने अपना एक महान संरक्षक को दिया। राजा साहब का व्रत सदैव समाज की एकता और धर्म की रक्षा रहा। वे उन दुर्लभ व्यक्तियों में से थे जिनके लिए शक्ति और सत्ता साधन नहीं बल्कि सेवा का माध्यम होती है। शोक सभा में प्रसिद्ध समाजसेवी आचार्य सच्चिदानंद मिश्र, नईकी ने कहा कि राजा साहब की जड़े यद्यपि दरभंगा के भूमिपुत्र होने में थी परंतु उनका हृदय अयोध्या की मिट्टी में धड़कता था। धर्म और समाज के लिए उनका समर्पण अप्रतिम था। उनका जीवन यह सीखता है कि व्यक्ति चाहे किसी भी परिस्थिति में क्यों न हो यदि उसका हृदय धर्मनिहित है तो, वह संपूर्ण समाज का मार्गदर्शन बन सकता है। शोकसभा में मंच एवं महासभा से जुड़े अनेक प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की जिस में स्वामी व्यंकटेश प्रपन्नाचार्य, चार्ज डॉक्टर बी एन पांडेय, अचार्य अरुण मिश्रा मधुप, महेश मिश्रा, पंडित बालमुकुंद मिश्रा, जी एस रामचंद्र दास, महेश बाबू गुपुत शंभू लाल विट्ठल, गजाधर लाल पाठक, आचार्य राजा बाबू, डॉक्टर नंदकिशोर गुप्ता, गजाधर लाल कटारियार, कृष्णा बाबू टईया, विश्वजीत चक्रवर्ती, अच्युत मराठे, डॉ ज्ञानेश भारद्वाज, प्रोफेसर अशोक कुमार, प्रोफेसर रीना सिंह, शंभू गिरि नीरज वर्मा, प्रोफ़ेसर गीता पासवान, रंजीत पाठक, पवन मिश्रा, किरण पाठक, डॉ शंभू कुमार, नेहा कुमारी, संगीता जी, डॉक्टर दिनेश बाबू, डॉ रविंद्र कुमार, मुरलीधर सिंह, मनीष कुमार, उषा ज्योति मिश्रा, शांति देवी, मृदुल मिश्रा, पार्वती देवी रूबी कुमारी ऋषिकेश गुर्दा, चांदनी कुमारी, आचार्य अभय पाठक, आचार्य अजय मिश्रा, सुनील पाठक, अमरनाथ पांडेय, हरिनारायण त्रिपाठी, सत्येंद्र दुबे, अरुण ओझा, मनीष मिश्रा,देवेंद्र नाथ मिश्र, आचार्य शंभू मिश्रा, प्रतिमा कुमारी, शोभा कुमारी, फूल कुमारी यादि उल्लेखनीय थे।
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