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स्वतंत्रता दिवस : गौरव बलिदान और संकल्प का पर्व

स्वतंत्रता दिवस : गौरव बलिदान और संकल्प का पर्व

संगीता सागर
स्वतंत्रता दिवस भारत का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व है जिसे बहुत ही गर्व और हषोल्लास से मनाया जाता ‌है,जो ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का अंत और संप्रभु राष्ट्र के जन्म का उत्सव है।

आज से 95 साल पहले क्रांगेस के लाहौर अधिवेशन में पूरी आज़ादी का जो स्वपन
देखा गया था वह 15 अगस्त 1947 को पूरा हुआ जब 200 वर्षो के ब्रिटिश गुलामी से हमें मुक्ति मिली।
15 अगस सिर्फ एक उत्सव नहीं है बल्कि उन अनगिनत बलिदानों, संघर्षो और क्रांतिकारियों के सपनों का प्रतीक है जिसने भारत को एक आजाद राष्ट्र के ‌रुप में स्थापित किया।
ये आजादी हमें ‌उपहार में नही मिली बल्कि यह 200 वर्षों की यातना, उत्पीड़न रणनीति का परिणाम है।
सुभाषचन्द्र बोस का प्रेरणादायक नारा " तुम मुझे खून दो ,मै‌ तुम्हें आज़ादी दूंगा"
महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन, सत्याग्रह, सरदार वल्लभभाई पटेल का लौह इरादा, रानी लक्ष्मीबाई की मर्दानी ताकत , चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राजगुरु खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारियों का हंसते हंसते फांसी पर चढ़ जाने का साहस के कीमत पर ऐसा ऐतिहासिक दिन आया जब एक ऐसे राष्ट्र का जन्म हुआ जो अपने भाग्य का निर्माता स्वयं था ।

स्वतंत्रता दिवस हम सभी भारतीयों के लिए महापर्व हैं। इस महापर्व का मुख्य समारोह देश की राजधानी दिल्ली के लाल किला में आयोजित किया जाता है, जहा देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रीय धवज फहराते हैं और अपने भाषण में देश को संबोधित करते हैं। प्रधानमंत्री अपने भाषण में देश के विकास, उपलब्धियां , चुनौती एवं भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालते हैं ।ध्वजारोहण के बाद
21 तोपों की सलामी दी जाती है जो हमारे शहिदों के प्रति सम्मान,देश की संप्रभुता एवं शक्ति का प्रतीक होता है ।
इस अवसर पर भारत की थल , जल और वायु सेना द्वारा भव्य पैरेड निकाली जाती है जो देश के सैन्य शक्ति और एकता का प्रतीक होता है ।
स्वतंत्रता दिवस एक महापर्व ही नही है बल्कि आत्मचिंतन का दिन है।यह दिन हमें उन अनगिनत शहिदों का याद दिलाता है जिनके बलिदान की कीमत हमारी आजादी है और इसे अक्षुण्ण रखना हमारी जिम्मेदारी है ।
आज जब भारत एक समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनकर विश्व गुरु बनने के राह पर अग्रसर है, तो हर एक भारतीय का कर्तव्य है कि वो उन चुनौतियों‌ कमियों को पहचाने जो आज भी देश में मौजूद हैं और उससे निपटने का ईमानदार‌ प्रयास करें।

वास्तव में आजादी का मतलब सिर्फ गुलामी से आजादी नही है बल्कि सही अर्थों में आजादी का मतलब सोच की आजादी है जिसमें हर नागरिक ,जाति, भाषा और वर्ग से ऊपर उठकर अपने को भारतीय समझे और देश के विकास में अपना साझेदारी सुनिश्चित करें। देश की सुरक्षा, एकता, संस्कृति एवं संप्रभुता को अक्षुण्ण रखना हर भारतीय अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी समझे तभी सही अर्थों मे स्वतंत्रता/आजादी परिभाषित हो पाएगी।


संगीता सागर मुजफ्फरपुर, बिहार।
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