"आत्मविश्वास की पराकाष्ठा"
उपरोक्त संलग्न चित्र का कथन आत्मविश्वास की चरम सीमा को दर्शाता है। यह उस व्यक्ति की मानसिक दृढ़ता का प्रतीक है जो अपने निर्णयों, विचारों और आस्थाओं में अडिग रहता है।
ऐसा आत्मविश्वास जहाँ एक ओर सफलता का सूत्र बन सकता है, वहीं यह आत्ममुग्धता में बदल जाए तो आत्मविकास में बाधा भी बन सकता है। इस कथन में छुपा संदेश यह है कि आत्म-संदेह से ऊपर उठकर अपने विचारों में विश्वास रखना आवश्यक है, परंतु साथ ही आत्ममंथन और विनम्रता भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।
आत्मविश्वास और अंधविश्वास के बीच की रेखा बहुत सूक्ष्म होती है। एक सफल व्यक्ति वह होता है जो अपने निर्णयों में विश्वास रखे, परंतु समय-समय पर उनका मूल्यांकन भी करता रहे। यदि हम हर बार स्वयं को ही सही मानने लगें, तो सीखने की प्रक्रिया थम जाती है। जीवन में प्रगति के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने भीतर विश्वास बनाए रखें, पर साथ ही दूसरों की दृष्टि और आलोचना को भी ग्रहण करने की विनम्रता रखें।
वास्तविक प्रेरणा तब जन्म लेती है जब आत्मविश्वास और आत्मनिरीक्षण दोनों साथ चलें। तभी व्यक्ति न केवल स्वयं के लिए, बल्कि समाज के लिए भी सही दिशा निर्धारित कर सकता है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com