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बंधन और संबंध

बंधन और संबंध


बंधन और संबंधों का
जो अंतर समझता है।
वो ही इंसान इस जग में
सबको प्यारा लगता है।
वो ही इंसान इस......।।


कोई कह यदि दिलकी बातें
महफिल या उत्सव आदि में।
तो तुरंत नहीं देना चाहिए
उस को अपनी प्रतिक्रियाँ।
वैसे तो दिल वाले जन
पड़ लेते है उसकी आँखे को।
क्या कुछ वो बोल रहे और
किस संदर्भ में कुछ पूछ रहे।।
बंधन और संबंधों का
जो अंतर समझता है....।।


आज मिली है महफ़िल में नजरे
जिसके लिए तरस रहे थे वर्षो से।
चहाकर भी वो मनकी बातें
कह न पा रहे थे वर्षो से।
आज गीत मनहर का गाकर
दिया उन्होंने कुछ नया संदेश।
अब तो तुम भी गाओ जी
प्रेम प्रीत और मिलन के गीत।।
बंधन और संबंधों का
जो अंतर समझता है....।।


समझो अब तुम इन बातें को
कब तक न समझ बने रहोगे।
कितने दिनों से लगा रखी है
आपस में हम दोनों ने प्रीत।
हम तुम्हें देखे तुम हमें देखो
कब तक और चलेगा ऐसा।
और प्रेम पूजारन बनने का
क्या मुझे सौभाग्य मिल पायेग।।
बंधन और संबंधों का
जो अंतर समझता है।
वो ही इंसान इस जग में
सबको प्यारा लगता है,
सबको प्यारा लगत। है।।


जय जिनेंद
संजय जैन "बीना" मुंबई
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