दुनिया के रंग...
हमारी और तुम्हरी एककहानी लिखना है हमको।
मुलाकातो का वो दौर
जिसे वर्षो से जिये है हम।
दिल की धड़कनों को भी
दिल से हमने मिलाया है।
इसलिए तो हम दोनों
दो जान एक आत्मा है।।
रूह को आत्मा से,
अलग तुम मत करो।
वरना आत्मा भी
रूठकर भट जायेगी।
स्नेह-प्यार से चलने वाली
दुनिया को चलने दो।
जिसके तुम भी एक
नागरिक और बासिंदे हो।।
आग से खेलोगें तुम तो
तुम्हारे हाथ जलेंगे।
आज नही तो कल
तुम इसमें फसोगे।
तुम्हारा खेल तुमको
समझ में निश्चित आयेगा।
इरादा भी तुम्हारा फिर
फिसल भी जायेगा।।
बने है हम दोनों देखो
दुनिया में एक हमसफर।
लिखी है विधाता ने देखो
हमारी तुम्हारी किस्मत को।
जो समयानुसार चलती और
उसके अनुसार बदलती है।
इसलिए तो इस दुनिया के
रंग भी भिन्न भिन्न जो है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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