Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

शूल बने हो जिस पथ के तुम

शूल बने हो जिस पथ के तुम

तुम धरो पाक का सलवार ,
मैं राणा का ये तलवार धरूॅं ।
तुम बनो पाक का ये चमचा ,
मैं भारत में ये हथियार भरूॅं ।।
तुम कर लो पाक चीन पूजा ,
मैं माॅं भारती की पूजा करूॅं ।
तुम देख लो विदेश के सपने ,
मैं वंदेमातरम् ही गूॅंजा करूॅं ।।
बनो तुम जयचंद का औलाद ,
मैं भी राणा भामाशाह बनूॅं ।
कहीं बनूॅं मैं सुभाष आजाद ,
तो कहीं इन्हीं का राह बनूॅं ।।
शूल बने हो जिस पथ के तुम ,
तेरे लिए मैं भी ये त्रिशूल बनूॅं ।
तुझे चुभकर मैं बाहर फेंक दूॅं ,
उनके लिए मैं सुंदर फूल बनूॅं ।।
जिस पथ चलते वीर अनेक ,
उसी पथ का सबका मूल बनूॅं ।
जो पथ लेते हैं ये वीर बहादुर ,
मैं भी उनके ही अनुकूल बनूॅं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ