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संस्कृत भाषा के उत्थान हेतु ‘समग्र संस्कृत विकास समिति’ का वार्षिक सम्मान समारोह सम्पन्न

संस्कृत भाषा के उत्थान हेतु ‘समग्र संस्कृत विकास समिति’ का वार्षिक सम्मान समारोह सम्पन्न

  • संस्कृत से ही भारत पुनः बनेगा विश्वगुरु” – विद्वानों ने दी प्रेरणा
  • संस्कृत ही भारत की आत्मा है : समग्र संस्कृत विकास समिति का वार्षिक सम्मान समारोह सम्पन्न

पटना, 24 अगस्त 2025।
समग्र संस्कृत विकास समिति, बिहार राज्य इकाई द्वारा आयोजित वार्षिक सम्मान समारोह का भव्य आयोजन बिहार इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन सभागार, पटना में सम्पन्न हुआ।

समारोह का उद्घाटन प्रो. आर. के. सिंह, पूर्व कुलपति पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय, पटना ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में वर्तमान कुलपति प्रो. उपेन्द्र प्रसाद सिंह तथा मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. देवनारायण झा, पूर्व कुलपति, संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. आर. सी. सिन्हा ने की।

समारोह का संचालन विहार संस्कृत संजीवन समाज के महासचिव डॉ. मुकेश कुमार ओझा ने संस्कृत भाषा में किया। वैदिक मंगलाचरण की प्रस्तुति शशिकांत मिश्र ने दी।

विशिष्ट अतिथियों में प्रो. ओमप्रकाश शर्मा (ट्रेगौर फेलो, शिमला), डॉ. नवल किशोर यादव (विधान पार्षद), श्री राजेश कुमार सिंह (समाजसेवी), डॉ. मनोज कुमार झा (प्राचार्य, राजकीय संस्कृत महाविद्यालय, पटना), श्री शिवाकांत तिवारी (राष्ट्रीय सचिव, भारत-तिब्बत सहयोग मंच) एवं प्रो. डी. पी. श्रीवास्तव (पूर्व विभागाध्यक्ष, प्राकृत, बी.डी. कॉलेज, पटना) सम्मिलित हुए।

अपने वक्तव्य में प्रो. आर. के. सिंह ने संस्कृत नीतिशास्त्र एवं धर्मशास्त्र की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि प्रो. उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने संस्कृत शल्य चिकित्सा परंपरा पर विस्तृत व्याख्यान दिया।
मुख्य वक्ता प्रो. देवनारायण झा ने कहा कि “वेदों के अध्ययन के बिना भारतीय संस्कृति का वास्तविक ज्ञान संभव नहीं है।”
विधान पार्षद डॉ. नवल किशोर यादव ने आश्वासन दिया कि “बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में संस्कृत को स्थान दिलाने हेतु हर संभव प्रयास करूंगा।”

प्रो. ओमप्रकाश शर्मा ने चाणक्य नीति पर विस्तृत चर्चा कर युवाओं को उनके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। समाजसेवी श्री ललन सिंह ने संस्कृत के प्रचार हेतु अपने सतत प्रयासों की जानकारी दी।
डॉ. मनोज कुमार झा ने कहा कि “संस्कृत ही वह आधार है, जिसके कारण भारत विश्वगुरु बना था और पुनः बनेगा।”
श्री शिवाकांत तिवारी ने चाणक्य के जीवन-दर्शन पर अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम में डॉ. संजय कुमार सिंह द्वारा प्रस्तुत संस्कृत गीत ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। अन्य वक्ताओं में डॉ. आर. सी. वर्मा, डॉ. गौतम जितेन्द्र, डॉ. सुषमा कुमारी, डॉ. सुबोध कुमार सिंह, प्रो. रागिनी वर्मा, डॉ. महेश केवट, डॉ. सुरेश द्विवेदी, डॉ. विनय कृष्ण तिवारी, ओम स्वास्तिक प्रिया, डॉ. पल्लवी, शैलेश कुमार त्रिपाठी, सुधांशु रंजन आदि विद्वानों ने भी अपने विचार रखे।

इस अवसर पर स्मृति ग्रंथ का लोकार्पण किया गया तथा कुल 140 विद्वानों को सम्मान-पत्र, अंगवस्त्र एवं स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ज्योति शंकर सिंह ने किया।
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