कर्नाटक में ‘शब्दवीणा’ की मासिक काव्यगोष्ठी सम्पन्न, समसामयिक विषयों पर गूँजे भावपूर्ण स्वर

—“मैं अंधेरों में उजाले खोजता हूँ” से लेकर “चले आना तुम, जब आएगा सावन” तक कवियों ने श्रोताओं को भावविभोर किया
गया/बेंगलुरु। राष्ट्रीय साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था ‘शब्दवीणा’ की कर्नाटक प्रदेश समिति द्वारा मासिक काव्यगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया, जिसमें समसामयिक विषयों पर आधारित रचनाओं की भावपूर्ण प्रस्तुति ने श्रोताओं को गहराई तक स्पर्श किया। यह काव्यगोष्ठी संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुई।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश अध्यक्ष सुनीता सैनी गुड्डी द्वारा माँ सरस्वती की वंदना से हुआ। अध्यक्षता प्रदेश साहित्य मंत्री निगम राज ने की, जबकि संचालन का दायित्व सुनीता सैनी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष विजयेन्द्र सैनी ने संयुक्त रूप से निभाया।
गोष्ठी में वर्षा, सावन, तीज-त्योहार, प्रेम, भक्ति और देशभक्ति जैसे समकालीन विषयों पर आधारित गीत, ग़ज़ल, दोहे, मुक्तक एवं भजन प्रस्तुत किए गए। विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित चर्चित ग़ज़लकार श्री फना की ग़ज़ल—
“नया एक आशियाना चाहता है, परिंदा फिर ठिकाना चाहता है”
को खूब सराहना मिली।
प्रदेश प्रचार मंत्री संध्या निगम की प्रस्तुति—
“भक्तों पे शिव की नज़रिया, भींगे शिव की नगरिया”
ने श्रोताओं को भावमुग्ध किया। वहीं प्रदेश कोषाध्यक्ष पूनम शर्मा ने शिव भक्ति में रचा-पगा भजन—
“काशी में बुला लो बाबा, मन भटके”
प्रस्तुत कर आध्यात्मिक वातावरण रच दिया।
प्रदेश संगठन मंत्री आनंद दाधीच की प्रेरणादायक पंक्तियाँ—
“मैं अंधेरों में उजाले खोजता हूँ। ग़म पाता हूँ अक्सर खुशियाँ देकर, फिर भी मुस्कुराने की सोचता हूँ।”
श्रोताओं के दिलों को छू गईं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी की आत्मस्वरूप को टटोलती रचना “इन शब्दों ने” की पंक्तियाँ—
“शब्दों के हैं जाल अनोखे, दे जाते जो अक्सर धोखे। इन शब्दों ने कभी हमें खुशियाँ दीं, कभी सितम ढाया है”
ने विचार की गहराइयों तक पहुँचने को प्रेरित किया।
कार्यक्रम अध्यक्ष निगम राज़ ने सभी प्रस्तुत रचनाओं की संक्षिप्त समीक्षा की और रचनाकारों की कलम को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपने उत्साहवर्धक मुक्तक के माध्यम से सभी सदस्यों का हौसला बढ़ाया—
“बहुत भारी हैं ज़िम्मेदारियाँ, मिलकर कर उठाने की,
नयी ऊँचाइयों पर शब्दवीणा को धरेंगे सब।”
इस काव्यगोष्ठी का सीधा प्रसारण शब्दवीणा केन्द्रीय पेज पर किया गया, जिससे देशभर के साहित्य प्रेमी जुड़ सके। श्रोताओं में गोपाल अश्क, ब्रजेन्द्र मिश्र, महावीर सिंह वीर, फतेहपाल सिंह सारंग, जैनेन्द्र मालवीय, पी के मोहन, डॉ. रवि प्रकाश, प्रो. सुनील उपाध्याय, प्रो. सुबोध कुमार झा, अनंग पाल सिंह भदौरिया अनंग, सरिता कुमार, सरोज कुमार, राम नाथ बेख़बर सहित कई गणमान्य साहित्यकार उपस्थित रहे। सभी ने अपनी टिप्पणियों और प्रतिक्रियाओं से गोष्ठी में प्रस्तुत रचनाकारों का उत्साहवर्द्धन किया।
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