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सारा ब्रह्मांड गूंज रहा, बम बम भोले उद्घोष से

सारा ब्रह्मांड गूंज रहा, बम बम भोले उद्घोष से

जटा विराजित पुनीत गंगे,
विष भुजंग कंठन माला ।
सजल लहर चपल चपल,
स्वर्ण अनल ललाट उजाला ।
सौम्य अर्ध चंद्र भाल प्रतिष्ठा,
त्रिलोकी पितृ प्रभा आशुतोष से ।
सारा ब्रह्मांड गूंज रहा,बम बम भोले उद्घोष से ।।


सहज कृपालु सरल जप तप,
गौण समय स्थान परिधान ।
संपूर्ण सृष्टि परिवार अनुपमा,
प्रेम करुणामय हृदय संधान ।
तरल अनल गगन पवन,
विमुक्ति दुःख कष्ट हर दोष से ।
सारा ब्रह्मांड गूंज रहा,बम बम भोले उद्घोष से ।।


अनादि देवाधि देव शोभा,
प्रसून धूलि शीर्ष शोभित ।
कामना पूर्ण पावन अर्णव,
रज रज रग रग सुभाषित ।
दमन इंद्र देव कामनाएं,
शमन वासना कामदेव कोष से ।
सारा ब्रह्मांड गूंज रहा,बम बम भोले उद्घोष से ।।


मनोरम छटा नंदिनी स्वरूप,
नील कंठ पंकजा समान ।
समस्त सिद्धि परम स्पर्श,
मनुज संग देवता दंड विधान ।
शेष प्रशेष अशेष विशेष उपमा,
निर्माण विनाश छवि परितोष से ।
सारा ब्रह्मांड गूंज रहा,बम बम भोले उद्घोष से ।।


*कुमार महेंद्र*
(स्वरचित मौलिक रचना)
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