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छांगुर बाबा के काले कारनामे और भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी

छांगुर बाबा के काले कारनामे और भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी

डॉ राकेश कुमार आर्य
सूफी संत के वेष में भी अनेक ऐसे मुस्लिम रहे हैं, जिन्होंने सनातन धर्म का बहुत भारी अहित किया है। भारतवर्ष में ऐसे कथित सूफी संतों की अनेक मजारें और दरगाहें हैं, जहां पर कभी बड़ी संख्या में हिंदुओं का धर्मांतरण करने का खेल खेला जाता था। इतिहास लेखन में अन्याय करते हुए इतिहासकारों ने इन कथित सूफी संतों के बारे में कभी सच नहीं लिखा। इसलिए आज भी बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोग उनके कथित संत होने पर विश्वास कर लेते हैं। इसके साथ-साथ यह हिंदू उन लोगों का विश्वास नहीं करते जो इन्हें गला फाड़ फाड़कर यह बताते रहते हैं कि इस दिशा में मत जाना , यहां पर आपके साथ कोई भी 'धोखा' हो सकता है। हिंदुओं को धोखा देने के लिए हजारों की संख्या में देश में नौ गजा पीर बने हुए हैं। जिन पर हिंदू समाज के लोग जाकर मन्नतें मांगते हैं। मुस्लिम समाज के लोग इस कार्य को आराम से होने देते हैं। एक ओर उनके यहां मूर्ति पूजा नहीं है और दूसरी ओर मूर्ति पूजा से भी बुरी पूजा वे हिंदुओं से अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए करवाते हैं। इसी प्रकार मजारें और दरगाहें हैं, उन सब पर भी हिंदू जाकर चादर चढ़ाते हैं। जब उन्हें सचेत किया जाता है कि तुम्हें उधर नहीं जाना है तो सचेत करने वालों को ही ये लोग सांप्रदायिक समझते हैं। आप समझ सकते हैं कि जब रोगी उपचार करते हुए डॉक्टर को ही उल्टा लात मारने लगे तो क्या स्थिति होगी ? एक सुनियोजित षड़यंत्र के अंतर्गत सनातन विनाश की योजना पर काम करते हुए देश में 'लव जिहाद' चल रहा है। यह 'लव जिहाद' हिंदू समाज की बहन बेटियों को भेड़ मुर्गी की भांति उठा लेने की एक गोरिल्ला युद्ध जैसी 'हिंदू विनाश' की योजना है । जिसमें प्रतिदिन हिंदू लड़कियों को शिकार बनाया जाता है और पूरा हिंदू समाज अपनी ही बहन बेटियों को इस प्रकार शिकार बनते देखकर भी अपनी इस परंपरागत सोच से बाहर नहीं निकला है कि यह घटना अमुक शहर या अमुक प्रदेश की है, आग मुझसे तो अभी बहुत दूर है।
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के उतरौला के छांगुर बाबा के प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश में हिंदू आज भी सोया हुआ है। वह अपने आप को अपने आप ही छल रहा है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि सूफी संत के वेश में देश के हिन्दू समाज का धर्मांतरण कर अपनी संख्या बढ़ाने का मुस्लिम समाज का हजार वर्ष पुराना खेल आज भी बहुत भयंकर स्तर पर जारी है। यह खेल इसलिए भी किया जा रहा है कि एक दिन जनसंख्या के आधार पर ही देश के आर्थिक संसाधनों पर एक वर्ग विशेष का नियंत्रण स्थापित हो जाएगा। तब देश की राजनीति को अपने अनुसार हांककर देश के संविधान को हिंद महासागर में बहा दिया जाएगा। यदि अपने इस मिशन में इस्लामिक कट्टरपंथी सफल होते हैं तो भारत जैसे देश का इस्लामीकरण हो जाना विश्व इतिहास की एक बहुत बड़ी घटना होगी। क्योंकि एक साथ सौ करोड़ से अधिक लोगों को इस्लाम के झंडे तले लाना इस्लाम की अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी जीत होगी। इस जीत का जश्न मनाने के लिए पूरे इस्लामिक जगत से भारत के लिए अपार धन भेजा जा रहा है। इस्लामिक कट्टरपंथी इस प्रकार के कार्यों को 'दीनी खिदमत' मानते हैं।
'सनातन विनाश' की इसी प्रक्रिया में लगा हुआ छांगुर बाबा कभी भीख मांगा करता था। जैसे-जैसे उसे अपने मिशन में सफलता मिलती हुई दिखाई दी, उसके संप्रदाय के लोग उसके साथ जुड़ते गए। बात भारत से बाहर मुस्लिम देशों में पहुंची तो वहां से भी लोगों ने 'दीनी खिदमत' में लगे छांगुर बाबा के लिए धन भेजना आरंभ कर दिया। जिससे एक भिखारी दिनोंदिन मालामाल होता चला गया। एक भिखारी दिनोंदिन मालामाल होता जा रहा है, इस ओर हिंदू समाज के उन लोगों ने भी ध्यान नहीं दिया जो इस भिखारी के मिशन के जाल में फंसते जा रहे थे । उन्हें सब कुछ ऐसा लगा जैसे बाबा 'चमत्कार' करते जा रहे हैं। जिससे उनके जीवन में अप्रत्याशित परिवर्तन होते दिखाई दे रहे हैं। इससे पता चलता है कि हम अपनी उस परंपरागत पाखंडी सोच से बाहर नहीं निकले हैं, जिसमें हम सदियों से यह मानते आ रहे हैं कि चमत्कार को ही नमस्कार है और बाबाओं के पास 'चमत्कार' करने के अनेक ढंग होते हैं। दुर्भाग्य यह है कि हमारे शासन प्रशासन और यहां तक कि न्यायालयों में भी कई लोग ऐसे बैठे हैं जो विज्ञान के युग में भी पाखंडों को या तो प्रोत्साहित करते हैं या उनके सामने डर जाते हैं। लोगों की इसी मानसिकता का लाभ उठाकर यह पाखंडी सनातन विरोधी बाबा शासन-प्रशासन और न्यायालय पर भी अपना प्रभाव जमाने में सफल हो गया। यही कारण रहा कि यदि किसी ने इस पाखंडी छांगुर बाबा के किसी व्यक्ति पर संदेह किया या उसके विरुद्ध शासन प्रशासन द्वारा कार्यवाही करने की मांग की तो उल्टा ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध ही झूठे केस दर्ज कर दिए जाते थे।
शासन-प्रशासन के लोग किस प्रकार धर्मभीरूता का परिचय देते हैं या ऐसे पाखंडियों के सामने किस प्रकार आत्म समर्पण कर देते हैं ? इसका पता इस बात से चल जाता है कि इस पाखंडी सनातन विरोधी बाबा ने शासन-प्रशासन की उपस्थिति में कई एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया और किसी ने भी इसके विरुद्ध किसी प्रकार की कोई कार्यवाही करने का साहस नहीं किया। शासन-प्रशासन की इस प्रकार की चुप्पी के पीछे भ्रष्टाचार का ' काला पंजा' दिखाई देता है। जिसके चलते इनके पास भी 'महीना' पहुंचता रहा और ये स्वयं भी अवैध कमाई में लग रहे। फलस्वरुप ये देशभक्ति को भूल गए। जिस देश के शासन-प्रशासन में इस प्रकार के भ्रष्ट अधिकारी बैठे हों, उसका भविष्य कैसा हो सकता है ? यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। यह बहुत छोटी सी धनराशि लेकर देश को बेचने का काम करते रहते हैं। अतः हमारा मानना है कि इन पाखंडी बाबाओं से भी अधिक कठोर कार्यवाही आज उन भ्रष्ट और देशद्रोही अधिकारियों के विरुद्ध होनी चाहिए, जो धन लेकर देश बेचने के कामों में संलिप्त पाए जाते हैं। 300 करोड़ तक की संपत्ति या अवैध धन एकत्र कर लेने वाले छांगुर बाबा के विरुद्ध अबसे पहले कोई कार्यवाही नहीं हुई , यह बहुत ही विचारणीय प्रश्न है। समझ लीजिए इस विचारणीय प्रश्न के पीछे कई अन्य विचारणीय प्रश्न अपने आप आकर खड़े हो जाते हैं । जिनमें सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि भ्रष्ट और देशद्रोही अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं ?


(लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है।)
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