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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और छांगुर बाबा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और छांगुर बाबा

डॉ राकेश कुमार आर्य
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी क्षमताओं, देशभक्ति और कठोर निर्णय लेने की अपनी परंपरागत नीतियों का एक बार फिर परिचय दे दिया है। उन्होंने पाखंडी छांगुर बाबा के विरुद्ध कठोर कार्यवाही कर सरकारी भूमि पर बने उसके विशाल भवन को भूमिसात करवा दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने बुलडोजर को पूर्णतया वैधानिक जामा पहनाते हुए कठोर कार्यवाही करने का संकल्प लिया तो उनके इस संकल्प को कोई हिला नहीं पाया । वह विकल्पविहीन संकल्प के धनी हैं। जो कहते हैं उसे करके दिखाते हैं। जिसके सामने कोई भी तूफान उन्हें हिला नहीं पाता । यही कारण है कि देश के लोग उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में देख रहे हैं।
यदि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के स्थान पर कोई अन्य मुख्यमंत्री होता तो इस सनातन विरोधी छांगुर बाबा पर हाथ डालना संभव नहीं था। जिसने स्थानीय शासन-प्रशासन तक को खरीद लिया हो या अपना गुलाम बना लिया हो और क्षेत्र में बड़ी संख्या में जिसके समर्थक लोग उसके एक संकेत पर आकर हंगामा करने की क्षमता रखते हों ,उस पर मायावती अखिलेश यादव की तो बात छोड़िए बीजेपी के भी किसी अन्य मुख्यमंत्री के विषय में यह नहीं सोचा जा सकता कि वह इस बाहुबली शक्तिशाली बाबा पर हाथ डाल सकता था।
यह थोड़ी बात नहीं है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों को भी इस 'छलिया बाबा' के पास तक पहुंचने में आठ वर्ष लग गये। इससे पता चलता है कि यह 'छलिया बाबा' कितनी गोपनीयता से अपने सारे कार्यों को कर रहा था और यह भी स्पष्ट हो गया है कि चाहे कोई कितना ही छलिया होकर काम क्यों नहीं कर रहा हो, परंतु वह योगी आदित्यनाथ की दृष्टि से बच नहीं सकता। योगी से अलग यदि कोई अन्य मुख्यमंत्री रहा होता तो इस मामले पर हाथ डालने का भी उसका साहस नहीं होता। छांगुर बाबा ने अपने महल की पूरी तरह किलेबंदी की हुई थी। उसने अपने इस आलीशान महल की दीवारों पर तारकशी की हुई थी। जिससे सारी योजनाओं को बहुत गोपनीय ढंग से लागू किया जा रहा था । आश्चर्य इस बात का है कि जब यह सनातन विरोधी पाखंडी बाबा इस प्रकार के कार्य कर रहा था तो किसी अधिकारी ने भी यह नहीं सोचा कि अंततः दीवारों पर लगी इन कंटीली तारों के भीतर हो क्या रहा है ?
पुलिस-प्रशासन के बारे में यह सच है कि इसमें बड़ी संख्या में ऐसे लोग आ चुके हैं जो या तो बिके हुए होते हैं या निष्क्रिय होकर शान्त जीवन जीने में विश्वास रखते हैं। उनका ध्यान केवल वेतन पर होता है। वेतन के बदले में देशभक्ति भी की जानी होती है , इसका उन्हें ध्यान ही नहीं रहता। अब वह जमाना गया जब अपने परिवार और बीवी बच्चों का ध्यान न रखकर देश का ध्यान रखने के लिए पुलिस में लोग भर्ती हुआ करते थे। अब बात-बात पर पुलिस का सिपाही आपको यह कहता हुआ मिलेगा कि मेरा भी परिवार है और मेरे भी अपने बीवी बच्चे हैं । इसका अभिप्राय है कि वह आपसे कह रहा होता है कि मैं क्यों अपने प्राणों को समाज और राष्ट्र के लिए जोखिम में डालूं ? कई बार ऐसा भी होता है कि प्रशासन में ऊपर बैठे लोग अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को डराए रखते हैं कि यदि तुमने अमुक मामले को लेकर कान हिलाया तो तुम्हारी खैर नहीं है। ऐसा तब होता है जब किसी बड़े मामले में ऊपर के अधिकारी बिके हुए होते हैं । तब वे नीचे वालों को अपनी हैकड़ी से सीधा रखने का ठेका ले लेते हैं। तब अधीनस्थ कर्मचारियों के पास सिवाय लाचारी का प्रदर्शन करने के अतिरिक्त अन्य कोई उपाय नहीं होता। कहने का अभिप्राय है कि देश की व्यवस्था को ठीक रखने के लिए पुलिस-प्रशासन में आमूल-चूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है।
छांगुर बाबा ने गरीब एवं विधवा हिन्दू लड़कियों और प्रेमजाल में फंसाकर लाई गई गैर-मुस्लिम लड़कियों के धर्मपरिवर्तन और यौन शोषण की पूरी व्यवस्था और हिंदू महिलाओं का देह शोषण करने की इस्लाम की परंपरागत नीति का पूरा-पूरा परिचय दिया। बाबा के लोग फंसाकर लाई गई इन हिंदू महिलाओं को बाबा के दर्शन कराते और फिर बाबा इन्हें धर्मांतरण के लिए तैयार करता। ये सारी हिंदू महिलाएं निर्धन वर्ग की होती थीं। इन महिलाओं में से यदि कोई ऊंची जाति की होती थी तो लाने वाले को ऊंची जाति के नाम पर कुछ अधिक धनराशि दी जाती थी, और यदि नीची जाति की होती थी तो लाने वाले को उसी के अनुसार कम धनराशि दी जाती थी। एक प्रकार से यहां भी आरक्षण लागू था । इस आरक्षण के विरुद्ध वे लोग इस समय चुप हैं जो जातिगत आधार पर जनगणना की मांग कर रहे हैं या ऐसा कहते हुए मिलते हैं कि अमुक बोर्ड में दलित या ओबीसी समाज के कितने लोग हैं ? ऐसा कहकर वे अपने आप को समानता का पक्षधर दिखाते हैं, परंतु छांगुर बाबा के यहां बरती जा रही ऊंचनीच, छुआछूत और असमानता पर उनके मुंह पर ताले पड़ गए हैं।
छांगुर बाबा ने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से बाहर भी अपना यह धंधा फैलाया हुआ था। वह उन मदरसों को सहायता दे रहा था जो हिंदू विनाश की योजना में लगे हुए हैं। सरकारी जमीनों को हड़पकर या सस्ते में खरीद कर असंवैधानिक ढंग से वहां पर मदरसों का निर्माण करवाया जा रहा था। जिस भारत को पाकिस्तान सीधे युद्ध में नहीं जीत सकता और जिसके विरुद्ध वह परमाणु बम प्रयोग करने की धमकी देकर भी उसे डरा नहीं पाया, वही पाकिस्तान भारत को सांस्कृतिक रूप से उजाड़कर अर्थात सनातनविहीन कर यहां पर इस्लामी झंडा फहराने की हर गतिविधि में सम्मिलित और संलिप्त रहता है।पाकिस्तान के इस प्रकार के सपनों को पूरा करने में देश के भीतर बैठी कट्टरपंथी शक्तियां पूरा सहयोग करती हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस ढोंगी पाखंडी छांगुर बाबा के विरुद्ध कठोर कार्यवाही कर देश के दूसरे प्रांतों के मुख्यमंत्रियों को भी यह संदेश दिया है कि वह भी सावधान रहें। क्योंकि यदि इस प्रकार की खतरनाक योजनाएं उन जैसे कठोर मुख्यमंत्री के प्रदेश में बनाई जा सकती हैं तो देश के अन्य प्रान्तों की स्थिति क्या होगी ? अर्थात खतरा कहीं भी 'बड़ा विस्फोट' करवा सकता है। देश की सुरक्षा एजेंसियों को भी सावधान रहने की आवश्यकता है। प्रदेशों की सरकार के साथ-साथ देश की केन्द्र सरकार को भी इस प्रकार के षड़यंत्रों में लगे लोगों के लिए एक विशेष कानून लागू करना चाहिए। हमारा मानना है कि ऐसी गतिविधियों में सम्मिलित लोगों को सार्वजनिक स्थलों पर फांसी पर चढ़ाया जाना चाहिए।



( लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं।)
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