गुरु महिमा वर्णन सहज नहीं ,
गुरु महिमा बिन नहीं है ज्ञान ।गुरु महिमा ही एक साधन है ,
जिससे पल्लवित होता उद्यान ।।
गुरु महिमा से ही ज्ञान मिला ,
उसी ज्ञान से मिलते भगवान ।
गुरु कृपा से जीवन सुखमय ,
गुरु कृपा से ये हर्षित जहान ।।
गुरु गुण सहजता से देख लो ,
गु से गुणात्मक रु से है रुख ।
जिसने वरा है जीवन हेतु गुरु ,
सच्चे जीवन का पाता सुख ।।
गुरु ज्ञान तो होता है सर्वोपरि ,
गुरु पथ होता है सबसे महान ।
ईश से भी श्रेष्ठ होते हैं ये गुरु ,
गुरु कारण ये मिलते भगवान ।।
गुरु कृपा से मिलते हैं साधना ,
गुरु कृपा से मिलते आराधना ।
गुरु कृपा से साहित्य हैं मिलते ,
साहित्य सिखाए सप्रेम बाॅंधना ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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