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शब्दवीणा की साहित्यिक भेंटवार्ता "सत्यम् शिवम् सुंदरम्" में लंदन से जुड़े अरुण अपेक्षित

शब्दवीणा की साहित्यिक भेंटवार्ता "सत्यम् शिवम् सुंदरम्" में लंदन से जुड़े अरुण अपेक्षित

  • लंदन की धरती पर शब्दवीणा ने गायी गयी हिन्द और हिन्दी की गुणगाथा : डॉ. रश्मि
  • योग्यता काम आयी सदा, काम आयीं न चालाकियाँ
  • महाशक्ति है विश्व की अपना भारतवर्ष

गया जी। राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था शब्दवीणा की साहित्यिक भेंटवार्ता "सत्यम् शिवम् सुंदरम्" में शब्दवीणा के मध्य प्रदेश सचिव वरिष्ठ साहित्यकार लंदन, इंग्लैंड की धरती से जुड़े। वार्ताकार के रूप में शब्दवीणा की संस्थापिका एवं राष्ट्रीय अध्यक्षा प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी स्वयं रहीं। दस से अधिक पुस्तकों के रचयिता, विभिन्न गौरवपूर्ण साहित्यिक मंचों के संचालक, पत्रकारिता एवं प्रशासकीय अनुभवों से युक्त, संगीत और साहित्य के अनुरागी अरुण अपेक्षित जी ने अपने सुमधुर स्वर में बेहतरीन गीत, गज़लें और संस्मरण सुनायें।

कार्यक्रम का शुभारंभ श्री अपेक्षित द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना "सरस्वती माँ वंदना, नित वंदना, शत वंदना" से हुआ। तत्पश्चात डॉ रश्मि ने श्री अपेक्षित एवं शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से जुड़े सभी साहित्यानुरागी श्रोताओं का स्वागत करते हुए श्री अपेक्षित की शैक्षणिक, साहित्यिक, सामाजिक, प्रशासकीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। हिन्दी साहित्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य तथा रचनाओं में श्रृंगार रस के प्रयोग पर परिचर्चा हुई। आधुनिक फिल्मों एवं गीतों में आ रही गिरावट पर बातचीत हुई।

श्री अपेक्षित ने मध्य प्रदेश के चर्चित साहित्यकारों एवं उनसे जुड़ी यादों को साझा किया। अपनी नवीनतम कृति अरुणिता को व्यक्ति और समष्टि के प्रति प्रेम रखने का संदेश देती ग़जलों एवं गीतिकाओं का संग्रह बतलाया। नर्मदा नदी पर रचित अपने भक्ति रस में डूबे गीत में श्री अपेक्षित ने स्वयं को नर्मदा तट पर पड़ा पत्थर बताते हुए कहा कि '"तेरे तट पर पड़ा एक पत्थर हूँ मैं, तू रजत धार है संपदा की तरह। मैंने पूजा तुझे शारदा की तरह"। "योग्यता काम आयी सदा, काम आयीं न चालाकियाँ", "देना है तो सद्भावों से कोष हृदय भर दे। देना है तो दुर्भावों से हमें विरक्ति दे। महाशक्ति तू सर्व हिताय अपनी शक्ति दे" तथा "दुनिया का सर्वोत्तम, सर्वश्रेष्ठ आदर्श। कोई देश है तो यही अपना भारतवर्ष। आतुर है सबसे अधिक करने को उत्कर्ष। महाशक्ति है विश्व की अपना भारतवर्ष" जैसी रचनाओं को दर्शकों से खूब सराहना मिली।

डॉ रश्मि ने बताया कि अब शब्दवीणा की गूंज लंदन तक पहुंच गयी है। लंदन की धरती पर शब्दवीणा के माध्यम से हिन्दी और हिन्दुस्तान की गुणगाथा का गाया जाना शब्दवीणा की उपलब्धियों में से एक है। उन्होंने कहा कि "सत्यम् शिवम् सुंदरम्" के पिछले अंक में शब्दवीणा मध्य प्रदेश समिति के अध्यक्ष कुंडलिया छंद विशेषज्ञ कवि अनंग पाल सिंह भदौरिया 'अनंग' आमंंत्रित रचनाकार रूप में शामिल हुए थे। वार्ताकार के रूप में शब्दवीणा की राष्ट्रीय साहित्य मंत्री वंदना चौधरी थीं। श्री अनंग और श्री अपेक्षित मध्य प्रदेश के जाने-माने साहित्यकारों में से एक हैं। शब्दवीणा को ऐसी महान साहित्यिक विभूतियों का सानिध्य मिलना गौरव का विषय है।

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