श्रावण मास : शिवमय साधना और शुभारंभ का पावन काल

✍️ डॉ राकेश दत्त मिश्र
भारतीय कालगणना में समय को केवल एक गणितीय इकाई के रूप में नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व से परिपूर्ण माना गया है। इसी परंपरा में "श्रावण मास" (सावन) का विशेष स्थान है, जिसे शिवमय माह कहा गया है। यह मास भक्तिभाव, व्रत, उपासना, साधना और जीवन में नए आरंभों के लिए अत्यंत शुभ और कल्याणकारी माना गया है।
🌿 विभिन्न पंचांगों की परंपरा में वर्षारंभ
भारतीय समाज में समय की गणना हेतु एकाधिक पंचांग प्रचलित रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से चार महीनों—मार्गशीर्ष (अगहन), माघ, वैशाख और श्रावण—से नए वर्ष या आध्यात्मिक आरंभ करने की परंपरा रही है।
- मार्गशीर्ष (अगहन) – श्रीकृष्ण ने स्वयं गीता में कहा है: "मासानां मार्गशीर्षोऽहम्"।
- माघ – स्नान-दान एवं साधना के लिए विशेष महत्व।
- वैशाख – अक्षय तृतीया से जुड़ा हुआ, फलप्रद कार्यों का अनंतारंभ।
- श्रावण – शिवभक्ति और व्रतों का समर्पणकाल।
🌼 श्रावण : शिवमयता का उत्सव
श्रावण मास विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित है। इस मास में जल से अभिषेक, बिल्वपत्र अर्पण, रुद्राष्टाध्यायी, मृत्युंजय मंत्र जाप और पार्थिव पूजन का विशेष महत्व होता है।
हालाँकि स्कन्दपुराण के नाम पर जो "श्रावण माहात्म्य" आज बाजार में प्रचलित है, वह कई विद्वानों के अनुसार मूल स्कन्दपुराण का अंग नहीं है, बल्कि सत्यनारायण कथा की भाँति बाद में जोड़ा गया अनुश्रुत ग्रंथ है। फिर भी इसका सांस्कृतिक प्रभाव और धार्मिक प्रेरणा इतनी व्यापक है कि इसे श्रद्धा से स्वीकार किया जाता है।
श्रावण मास में शिव के साथ-साथ अन्य देवताओं की उपासना, ग्रहों की शांति के लिए विशेष व्रत और उपाय भी किए जा सकते हैं। इस महीने में हर दिन एक ग्रह का पूजन और उस पर आधारित साधना अत्यंत फलदायी मानी गई है।
🕉️ श्रावण और ग्रह साधना : एक साप्ताहिक विवेचन
प्रत्येक दिन एक विशेष ग्रह का होता है, और श्रावण मास में इन ग्रहों की साधना अत्यंत शुभ मानी गई है:
दिन ग्रह पूजन/साधना
- रविवार सूर्य आदित्य हृदय स्तोत्र, अर्घ्य, व्रत
- सोमवार चंद्र शिव अभिषेक, सोमवारी व्रत
- मंगलवार मंगल हनुमानजी की पूजा, रक्त पुष्प अर्पण
- बुधवार बुध विष्णु/गणेश पूजन, बुध स्तोत्र
- गुरुवार बृहस्पति बृहस्पति व्रत, पीले फूल-भोग अर्पण
- शुक्रवार शुक्र माता लक्ष्मी पूजन, दुर्गा सप्तशती
- शनिवार शनि शनि मंत्र जाप, तिल, तेल, काली वस्तुएँ अर्पण
इन सातों दिन किसी न किसी विशेष ग्रह का व्रत, जप, स्तोत्रपाठ या यज्ञ करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। श्रावण का शिवत्व इन सबको सहज उपलब्ध बनाता है।
🔱 पार्थिव शिवलिंग पूजा : श्रावण की विशेष साधना
श्रावण मास में पार्थिव शिवलिंग की स्थापना कर उसका अभिषेक और पूजन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। पार्थिव शिवलिंग का अर्थ है मिट्टी से बने हुए शिवलिंग, जो एक दिन के पूजन के उपरांत नदी या जलस्रोत में विसर्जित कर दिए जाते हैं।
पार्थिव लिंग की पूजा से संतान, धन, आरोग्य, और मुक्ति की प्राप्ति मानी जाती है।
मृत्युञ्जय मंत्र – "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे..." का 108 बार प्रतिदिन जाप करने से रोग-निवारण और जीवन रक्षा होती है।
💧 रुद्राभिषेक : आत्मशुद्धि का साधन
श्रावण में रुद्राभिषेक की महत्ता सर्वोपरि मानी जाती है। जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से भगवान शिव का अभिषेक कर रुद्र सूक्त, श्रीरुद्रम का पाठ किया जाता है। यह समस्त पापों का नाश करता है, इच्छाओं की पूर्ति करता है और आध्यात्मिक उन्नति देता है।
🪔 सावन के प्रमुख व्रत और त्योहार
- सोमवारी व्रत – शिव भक्तों द्वारा सोमवार को निर्जल व्रत।
- रक्षा बंधन – भाई-बहन का पर्व।
- हरियाली तीज – सुहागिन स्त्रियों का उत्सव।
- नाग पंचमी – नाग देवताओं की पूजा।
- श्रावणी उपाकर्म वेदाध्ययन की दीक्षा।
🙏 श्रावण का आध्यात्मिक संदेश
श्रावण केवल एक मास नहीं, एक अवसर है— शिव से जुड़ने का, अंदर से तपकर पवित्र होने का, संयम, व्रत और श्रद्धा से जीवन को सुसंस्कृत करने का।
जिस तरह वर्षा ऋतु में धरती जल से भर जाती है, वैसे ही श्रावण में मन श्रद्धा और भक्ति से सिंचित होता है।
"श्रावणमासे शिवं वन्दे, भक्ति-भाव समन्वितम्।
जलाभिषेकसन्तुष्टं, कृपया यः नमोऽस्तु ते॥"
📿 निष्कर्ष
श्रावण मास कोई साधारण कालखंड नहीं है। यह जीवन में नवोदय, साधना और शुद्धिकरण का अवसर है।
यह शिव की छाया में आत्मा के जागरण का मास है।
यदि यह पावन सावन हमारे जीवन में आया है,
तो यथाशक्ति, यथाभाव, इसका लाभ लेना ही हमारा सौभाग्य है।
🌸 हर-हर महादेव 🌸
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