धन एवं चेतना की देवी हैं - “कमला देवी”
दिव्य रश्मि के उपसम्पादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा की कलम से |
हिन्दू धर्म की दस महाविद्याओं में "कमला" देवी का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह देवी मां लक्ष्मी का ही एक तांत्रिक रूप हैं, परंतु पारंपरिक लक्ष्मी से कुछ मायनों में भिन्न है। जहां सामान्य रूप से लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य, और समृद्धि की देवी माना जाता है, वहीं कमला देवी केवल भौतिक ऐश्वर्य नहीं, बल्कि आध्यात्मिक समृद्धि और चेतना का भी वरदान देती है।
उनकी साधना में वैभव और वैराग्य दोनों का गहरा संतुलन होता है। यह साधना उस साधक को ही सफल करती है जो भोग में आसक्त न होकर भोग से परे दृष्टिकोण रखता है।
कमला देवी का स्वरूप अत्यंत मनोहारी और प्रभावशाली है। वह कमल के पुष्प पर आसीन रहती हैं, चार भुजाओं वाली होती हैं और उनके हाथों से स्वर्ण मुद्राओं की वर्षा रहती है। उनके चारों ओर हाथी जल से स्नान कराते हुए दिखाई देता हैं, जैसे कि लक्ष्मी के पारंपरिक चित्रण में होते हैं।
कमल- संसार में रहते हुए निर्मल और अलिप्त रहने का प्रतीक है। हाथी- राजसिक ऊर्जा, बल और शुद्धता का संकेत है। धनवर्षा- जीवन में आने वाले साधनों की प्रचुरता का द्योतक है। स्निग्ध मुस्कान- शांति और करुणा का प्रतीक है।
जहां पारंपरिक भक्ति में लक्ष्मी पूजन दीपावली, शुक्रवार आदि को साधारण विधियों से होता है, वहीं तंत्र मार्ग में कमला देवी की साधना अत्यंत गंभीर और रहस्यमयी होती है।
कमला देवी का पूजा तांत्रिक तरीके से शुद्ध धन, चेतना और वैराग्य के साथ वैभव के उद्देश्य से, साधना आधारित (गुरु के निर्देशन में) भोग से परे चेतना की यात्रा के लिए किया जाता है।
कमला देवी की साधना एक साधक के लिए अत्यंत फलदायी परंतु उतनी ही कठिन माना जाता है। इसमें मन, वचन और कर्म की शुद्धता अत्यावश्यक होता है। यह साधना मुख्यतः चतुर्दशी, पूर्णिमा अथवा नवरात्र के दौरान किया जाता है।
कमला देवी की साधना गुरु दीक्षा के बिना गुरु के मार्गदर्शन के नहीं करनी चाहिए। सात्त्विक जीवनशैली, ब्रह्मचर्य और नियमितता अनिवार्य होता है। पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके लाल या पीले आसन पर साधना करना चाहिए।
कमला देवी का मंत्र है-
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं कमलायै नमः
या
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै नमः स्वाहा।
कमलगट्टे की माला से 108, 1008 या 1.25 लाख जप करना चाहिए।
यह साधना न केवल धन, वैभव, और भौतिक समृद्धि प्रदान करती है, बल्कि यह जीवन में संतुलन, मानसिक शांति, परिवारिक सुख, और आध्यात्मिक प्रगति भी देती है। साधक की गृहस्थी धन से संपन्न होता है, लेकिन वह धन साधक को मोहित नहीं करता। साधक उस धन को धर्म, सेवा और साधना के पथ पर प्रयोग करता है।
साधना से आर्थिक संकटों से मुक्ति, गृह में धन आगमन का निरंतर प्रवाह, पति-पत्नी संबंधों में मधुरता, मानसिक चिंता और भय से मुक्ति तथा आध्यात्मिक उन्नति और ध्यान में प्रगाढ़ता होता है।
कमला देवी की साधना में अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता होती है। यदि साधना के दौरान शुद्धता, नियम या अनुशासन में कमी हुई, तो साधना निष्फल हो सकता है या अनिष्ट फल भी मिल सकता हैं। इसीलिए साधना स्थल पवित्र और शांत होना चाहिए। साधक को ईर्ष्या, लोभ, वासना आदि दोषों से दूर रहना चाहिए। जप के दौरान मन एकाग्र हो, अन्यथा व्यर्थ श्रम होगा। गुरु से बिना परामर्श के प्रयोग न करना चाहिए।
कमला देवी की तांत्रिक उपासना विशेषतः गृहस्थ साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी माना जाता है। यह साधना यह सिखाती है कि भोग और मोक्ष परस्पर विरोधी नहीं होती हैं, बल्कि साधक जब चेतनता के साथ संसारिक साधनों का उपयोग करता है, तो वह स्वयं में तृप्त होता है।
कमला देवी का आराधना करने से परिवार में प्रेम, सौहार्द और समृद्धि बनी रहती है। बच्चों की शिक्षा और प्रगति में बाधाएं दूर होती हैं। व्यापार और नौकरी में स्थिरता आती है। अनावश्यक खर्च और ऋण समाप्त होता है।
दस महाविद्याओं में कमला देवी को अंतिम महाविद्या माना जाता हैं। इसका कारण यह है कि जब साधक सभी महाविद्याओं की उग्रता, रहस्य, और अंतर्मुखता को पार कर लेता है, तब उसे जीवन में “पूर्णता” का अनुभव होता है। कमला देवी उस पूर्णता की देवी हैं, जो बाहरी और आंतरिक दोनों आयामों में संतुलन लाती हैं।
आज के युग में जहां व्यक्ति भौतिकता के अंधान्दोलन में फंसा हुआ है, कमला देवी की साधना उसे चेतना का दीप दिखा सकती है। यह साधना धन को नकारती नहीं है, बल्कि उसे साधक की चेतना के अधीन कर देती है। इससे व्यक्ति धन का स्वामी बनता है, दास नहीं।
आर्थिक तनाव झेलते युवाओं के लिए। गृहस्थ जीवन में स्थिरता खोजते दंपत्तियों के लिए। व्यवसाय में संघर्ष कर रहे उद्यमियों के लिए। आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले गृहस्थ साधकों के लिए, यह साधना उपयोगी है।
कमला देवी की साधना केवल 'धन पाने की याचना' नहीं है, यह आत्मा की गहराइयों में उतरने का निमंत्रण है। यह साधना वैभव को आत्मज्ञान का साधन बनाती है। कमला देवी की कृपा से साधक को वह लक्ष्मी प्राप्त होती है जो सदा स्थायी रहती है, जो केवल मुद्रा नहीं, बल्कि सद्बुद्धि, सदाचार, सद्गति और सिद्धि के रूप में जीवन को समृद्ध करती है। —---------------
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