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ह्यूमन राइट्स डिफेंडर एससी/एसटी विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनी - आशा देवी

ह्यूमन राइट्स डिफेंडर एससी/एसटी विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनी - आशा देवी

दिव्य रश्मि के उपसम्पादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा की खबर |

ह्यूमन राइट्स डिफेंडर में सामाजिक सरोकारों की मिसाल बन चुकी को-फाउंडर आशा देवी को एक महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है। संस्था के प्रति उनकी निष्ठा, कार्य के प्रति प्रतिबद्धता और समर्पण भाव को देखते हुए उन्हें एससी/एसटी विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से सम्मानित किया गया है।

यह नियुक्ति केवल एक पदभार नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में एक सशक्त कदम है। आशा देवी ने वर्षों तक जमीनी स्तर पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के लिए आवाज़ बुलंद की है। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में उनके कार्यों को हमेशा सराहा गया है। उनके प्रयासों से न सिर्फ सैकड़ों लोगों का जीवन बदला है, बल्कि सामाजिक चेतना भी पैदा हुई है।

ह्यूमन राइट्स डिफेंडर संस्था की सह-संस्थापक होने के नाते आशा देवी ने हर चुनौती को स्वीकार कर उसे अवसर में बदला। उनके कार्य में पारदर्शिता, दूरदर्शिता और सेवा की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि एक महिला न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरे समाज को नई दिशा दे सकती है।

उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर शुभकामनाओं की बाढ़ सी आ गई है। बधाई देने वालों में ह्यूमन राइट्स डिफेंडर के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार सिन्हा, संस्थापिका -सह- महासचिव पूजा सिन्हा, वरिष्ठ सदस्य एवं समाजसेवी कस्तूरी, कमलकांत, जितेन्द्र कुमार सिन्हा, सरिता, किरण कुमारी, अंजली सिन्हा, प्रिंस सिंह, स्वेता एवं सीमा कुमारी प्रमुख रूप से शामिल हैं। सभी ने आशा व्यक्त की है कि उनके नेतृत्व में एससी/एसटी विंग नई ऊँचाइयों को छुएगा और समाज के वंचित वर्गों को न्याय, अवसर और सम्मान मिलेगा।

राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद आशा देवी ने कहा है कि “यह पद मेरे लिए जिम्मेदारी का प्रतीक है। मैं अपने अनुभव, ऊर्जा और भावना को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए समर्पित रहूंगी। मेरा सपना है कि हर बच्चा पढ़े, हर महिला सशक्त हो और हर नागरिक को उसके अधिकार मिले।” उनके इस वक्तव्य से स्पष्ट है कि वह केवल नेतृत्व नहीं निभाएंगी, बल्कि बदलाव की मशाल जलाकर समाज के हर कोने में प्रकाश फैलाएंगी।

आशा देवी की यह नियुक्ति केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह पूरे सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक ठोस कदम है। अब यह देखना रोचक होगा कि उनका यह नया कार्यकाल ह्यूमन राइट्स डिफेंडर संस्था के माध्यम से समाज में कितना बड़ा बदलाव लाता है। निश्चित रूप से यह एक नई उम्मीद, नई दिशा और नए युग की शुरुआत है।
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