श्री गुरु चरण नित वंदन
मुदित अंतस ऋषि सम,चिंतन मनन ज्ञान ध्यान ।
नीतिमान निष्कपट निष्ठ,
सतत निरत पथ निष्काम ।
शमन दमन कर आडंबर ,
सद्ज्ञान सुरभि सम चंदन ।
श्री गुरु चरण नित वंदन ।।
लावण्य प्रभा मुख शोभित,
ओजमयी मोहक मुस्कान ।
समाहार शिक्षण कला,
नवाचार विधा मृदु गान ।
अबोध मन स्नेह सिक्त कर,
आचार विचार आदर्श मंडन ।
श्री गुरु चरण नित वंदन ।।
क्लेश द्वेष उग्र आवेश हीन,
उज्ज्वल उन्नत कर्म प्रधान ।
भरण सुसंस्कार मर्यादा,
स्तुत निज संस्कृति शान ।
उत्साह उमंग उल्लास भर,
सकारात्मक वैचारिकी स्पंदन।
श्री गुरु चरण नित वंदन ।।
संकल्प नव युग निर्माण,
लक्ष्य शोभा विश्व पदवी ।
ज्ञान विज्ञान अठखेलियों संग ,
ओज अभिव्यंजना सदृश रवि ।
शिष्य अंतर प्रेरणा पुंज ज्योत,
सदा अनंत आभार अभिनंदन ।
श्री गुरु चरण नित वंदन ।।
*कुमार महेंद्र*
(स्वरचित मौलिक रचना)
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