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सचित्र राम कथा का भव्य लोकार्पण समारोह संपन्न: भारतीय संस्कृति और रामायण के यशस्वी स्वरूप का अद्भुत उत्सव

सचित्र राम कथा का भव्य लोकार्पण समारोह संपन्न: भारतीय संस्कृति और रामायण के यशस्वी स्वरूप का अद्भुत उत्सव

पटना।
वरिष्ठ लेखक गणेश खेतड़ीवाल द्वारा रचित अद्भुत ग्रंथ "सचित्र राम कथा" का भव्य लोकार्पण समारोह राजधानी पटना में गरिमामयी वातावरण में संपन्न हुआ। यह आयोजन न केवल एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम था, बल्कि भारतीय संस्कृति, रामचरित और सनातन मूल्यों की पुनर्पुष्टि का एक ऐतिहासिक क्षण बन गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में माननीय श्री आरिफ मोहम्मद खान, राज्यपाल, बिहार ने अपनी सारगर्भित उपस्थिति से आयोजन को गौरवान्वित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, "राम कथा केवल एक धार्मिक आख्यान नहीं, बल्कि भारतीय चेतना की आत्मा है, जो मानव मूल्यों, मर्यादा और न्याय का सर्वोच्च प्रतीक है।" उन्होंने लेखक की प्रशंसा करते हुए कहा कि गणेश खेतड़ीवाल की यह कृति आने वाली पीढ़ियों के लिए रामचरितमानस को दृश्यबद्ध और सहज रूप में समझने का माध्यम बनेगी।

विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री नंद किशोर यादव, माननीय अध्यक्ष, बिहार विधानसभा ने कहा, "राम कथा समय की सीमाओं से परे है। सचित्र रूप में इसे प्रस्तुत करना एक कठिन कार्य है, जिसे खेतड़ीवाल जी ने अत्यंत विद्वत्तापूर्वक निभाया है।"

कार्यक्रम में श्री आलोक कुमार, अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, विश्व हिंदू परिषद ने इसे धर्म, कला और साहित्य का त्रिवेणी संगम बताया। उन्होंने कहा, "जब राम की कथा चित्रों के माध्यम से जीवंत होती है, तो उसका प्रभाव हृदय और आत्मा दोनों पर पड़ता है।"

श्री नितिन नवीन, माननीय पथ निर्माण मंत्री, बिहार सरकार, ने कहा कि "राम हमारे देश की पहचान हैं। इस पुस्तक के माध्यम से युवा वर्ग को राम की मर्यादा, सेवा, शौर्य और त्याग की भावना से जोड़ने का अनुपम कार्य हुआ है।"

पद्मश्री विमल कुमार जैन, सचिव, भारत विकास विकलांग अस्पताल, ने लेखक के प्रयास को ‘सांस्कृतिक पुनर्जागरण’ की संज्ञा दी। उन्होंने कहा, "सचित्र राम कथा एक दर्पण है जो हमें हमारे गौरवशाली अतीत से जोड़ता है।"

श्री पी.के. अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष, बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़, ने पुस्तक को ‘व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी अनुकरणीय’ बताते हुए कहा कि "ऐसी रचनाएं समाज में नैतिकता, नेतृत्व और प्रेरणा का बीजारोपण करती हैं।"

शास्त्रोपासक आचार्य चंद्र भूषण मिश्र ने वैदिक दृष्टिकोण से राम कथा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि "रामायण केवल कथा नहीं, धर्मशास्त्र है। सचित्र रूप में यह आज के भटके समाज को मार्ग दिखा सकती है।"

लेखक गणेश खेतड़ीवाल ने कहा, "यह पुस्तक मेरा श्रद्धासुमन है प्रभु श्रीराम के चरणों में। मेरी कोशिश रही है कि प्रत्येक चित्र पाठक को कथा का जीवंत अनुभव कराए।"

कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किए गए और धन्यवाद ज्ञापन के साथ समारोह का समापन हुआ।

यह आयोजन भारतीय संस्कृति, कला और धर्म की एक अनमोल झलक थी, जिसने यह सिद्ध कर दिया कि आज भी राम कथा की गूंज जनमानस को झकझोरने और जोड़ने की शक्ति रखती है।

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