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अलुआबाड़ी–ठाकुरगंज रेल खंड के दोहरीकरण से पूर्वोत्तर को मिलेगा रणनीतिक और आर्थिक बल

अलुआबाड़ी–ठाकुरगंज रेल खंड के दोहरीकरण से पूर्वोत्तर को मिलेगा रणनीतिक और आर्थिक बल

रेल मंत्रालय द्वारा उत्तर बंगाल और बिहार को जोड़ने वाले अलुआबाड़ी–ठाकुरगंज रेल खंड के दोहरीकरण की स्वीकृति प्रदान की गई है। यह परियोजना 19.95 किलोमीटर लंबे मार्ग पर लगभग ₹342.7 करोड़ की लागत से तीन वर्षों में पूरी की जाएगी। यह खंड अलुआबाड़ी–न्यू जलपाईगुड़ी के उच्च उपयोग वाले नेटवर्क का हिस्सा है, और इसके दोहरीकरण से इस मार्ग पर रेल यातायात की क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।

परियोजना उत्तर दिनाजपुर (पश्चिम बंगाल) और किशनगंज (बिहार) जिलों से होकर गुजरेगी। इसमें कुल चार स्टेशन—अलुआबाड़ी रोड जंक्शन, पोठिया, तैयबपुर और ठाकुरगंज जंक्शन—शामिल होंगे। परियोजना में 9 बड़े और 6 छोटे पुल, 8 अंडरपास, 25 टन लोडिंग मानक, 1x25 केवी विद्युतीकरण और 130 किलोमीटर प्रति घंटे की गति सीमा का प्रावधान होगा। सुरक्षा के लिए आधुनिक 'कवच' सिग्नलिंग प्रणाली भी लगाई जाएगी।

यह परियोजना पूर्वोत्तर भारत की रणनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों में रक्षा बलों, साजो-सामान और आपूर्ति की त्वरित आवाजाही संभव हो सकेगी। साथ ही यह परियोजना दार्जिलिंग जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करेगी, जिससे स्थानीय आर्थिक विकास को बल मिलेगा। इसके अतिरिक्त, इस मार्ग पर माल ढुलाई में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी—पहले वर्ष में 0.296 मिलियन टन, छठे वर्ष में 0.348 मिलियन टन और ग्यारहवें वर्ष में 0.408 मिलियन टन अनुमानित है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में यह परियोजना विकसित भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल क्षेत्रीय संपर्क को सुदृढ़ करेगी, बल्कि आर्थिक और सामरिक दृष्टि से भी राष्ट्रहित में उपयोगी सिद्ध होगी।

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