सृष्टि की संभाल,अब करेंगे महाकाल
देवशयनी एकादशी अनुपम,बेला विष्णु क्षीरसागर प्रस्थान ।
चातुर्मास अद्भुत काल खंड ,
सर्वत्र शंकर स्तुति आह्वान ।
श्रावण मास आहट अनूप,
सर्वत्र शिव स्नेहिल कृपा ढाल ।
सृष्टि की संभाल,अब करेंगे महाकाल ।।
रिमझिम रिमझिम स्वर प्रभा,
मेह अंतर अनंत नेह वृष्टि ।
धरा हरीतिमा मोहक श्रृंगार,
पुनीत पावन सात्विक दृष्टि ।
कल कल सरिता सर निर्झर ,
कावड़ सह आनंद धमाल ।
सृष्टि की संभाल, अब करेंगे महाकाल ।।
सावन भाद्रपद आश्विन कार्तिक,
सनातन धर्म अप्रतिम महत्ता ।
सहज सरस व्रत उपासना ,
निशि दिन वंदन रूद्र सत्ता ।
शुभ मांगलिक अनुष्ठान विराम,
पर पुनीत दर्शन शिव जी कमाल ।
सृष्टि की संभाल,अब करेंगे महाकाल ।।
चौमासा प्रकृति अलौकिक ,
द्वि देव वरदान अवसर ।
परम सानिध्य भोले भंडारी,
आस्था बिंदु विभु प्रखर ।
परिवेश उत्संग नैसर्गिक सौंदर्य,
शिवत्व ओज कण कण भाल ।
सृष्टि की संभाल, अब करेंगे महाकाल ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com