बचा लो
मोहब्बत करने वालों का नाताफूलों काँटो से गैहरा होता है।
इसलिए फूलों से दोस्ती करके
काँटो का दिल जीत लेते है।
तब कांटे भी अपना स्वभाव
फूलों सा कोमल कर लेते है।
क्योंकि दोनों को मोहब्बत में
अपनी भूमिका जो निभानी है।।
कहते है अपने और पराये
घरों में नही होते।
जबकि हर घर में देखो
अपने ही पराये जैसे रहते।
जो हर समय पर एहसास
अपनों को कराते रहते।
और अपने पराये की कहानी
स्वयं के मुख से कहते रहते।।
फूलों की कोमलता और
काँटों की कठोरता को जानों।
घर परिवार के रिश्तों को
फूल काँटों की तरह पहचानो।
भावना और स्वभाव को समझो
और फिर तने जैसे तन जाओं।
और घर परिवार की शाख
सब मिल जुलकर बचा लो।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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