लोक शिकायत निवारण की मदद से जवान बेटे को खो चुके पिता को मिला न्याय.jpg)
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- 5 जून 2016 से बिहार में लागू इस अधिनियम से अब तक 17 लाख से अधिक को मिल चुका न्याय
- इस अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त लोक शिकायतों का 60 कार्यदिवसों के अंदर होता है निवारण
पटना, 14 जुलाई।
लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम (आरटीपीजीआर) के माध्यम से बिहार में हर दिन अनेकों जन-समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। बिहार में गवर्नेंस एवं प्रशासनिक सुधार के क्षेत्र में न्याय के साथ विकास के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विजन को यह अधिनियम साकार कर रहा है। यह अधिनयम 5 जून 2016 को राज्य में लागू किया गया था। अब तक इसके जरिए 17 लाख लोगों को न्याय मिल चुका है।
इस अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त लोक शिकायतों का नियत समय (60 कार्यदिवस) में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के माध्यम से निपटारा होता है। ऐसा ही एक मामला पटना के अनीसाबाद में रहने वाले कामेश्वर प्रसाद आर्य का है। बीमा कंपनी से निराश होने के बाद इस अधिनियम का उन्होंने सहारा लिया और इसके बाद उन्हें न्याय मिला। उनकी कहानी एक बीमा भुगतान की नहीं, बल्कि शासन की संवेदनशीलता, जनकल्याण के प्रति प्रतिबद्धता और एक पिता के संघर्ष की असाधारण विजय की कहानी है।
कामेश्वर प्रसाद आर्य ने अपने दिवंगत पुत्र प्रभात शंकर को खोने के बाद न केवल अपार दुख सहा, बल्कि न्याय के लिए लंबा और धैर्यपूर्ण संघर्ष भी किया। प्रभात शंकर, बख्तियारपुर प्रखंड में पंचायत रोजगार सेवक के पद पर कार्यरत थे और 14 अगस्त 2023 को ड्यूटी पर जाते समय एक दुर्भाग्यपूर्ण रेल दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।
दुख की इस घड़ी में, परिवार को एकमात्र सहार बीमा ही था। कर्माचारियों को इस तरह की सुविधा देने का प्रावधान बिहार रूरल डेवलपमेंट सोसायटी (बीआरडीएस) और एचडीएफसी बैंक के बीच हुए समझौते में किया गया था। कामेश्वर प्रसाद ने समय पर बीमा दावा प्रस्तुत किया, लेकिन महीनों तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
10 लाख रुपये की बीमा राशि का हुआ भुगतान
इस मामले को जब विभागीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया, तब सुनवाई शुरू हुई और बीआरडीएस से इस मामले की रिपोर्ट मांगी गई। अपनी रिपोर्ट में बीआरडीएस ने बैंक को बीमा भुगतान के लि अनुरोध पत्र भेजा। जब यह मामला ग्रामीण विकास विभाग के संज्ञान में लाया गया, तब आयुक्त मनरेगा ने इसे गंभीरता से लेते हुए बी.आर.डी.एस और एच.डी.एफ.सी बैंक के शीर्ष अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि स्वर्गीय प्रभात शंकर के आश्रितों को शीघ्र लाभ पहुंचाया जाए।
लोक शिकायत निवारण में सुनवाई के परिणामस्वरूप, अंत में एचडीएफसी बैंक की तरफ से प्रभात शंकर के आश्रितों के बैंक खाते में 10 लाख रूपये की बीमा राशि का भुगतान कर दिया गया। यह न केवल कामेश्वर प्रसाद के लिए आर्थिक राहत थी, बल्कि यह एक उदाहरण भी बन गया कि शिकायत निवारण प्रणाली समय पर हस्तक्षेप करे तो आम नागरिक के शिकायत का निवारण शीघ्रता से संभव है। लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के सशक्त प्रावधानों के प्रभावकारी क्रियान्वयन से कामेश्वर प्रसाद आर्य को अंत में न्याय मिल पाया।
घर बैठे करा सकते शिकायत दर्जइस अधिनियम में अंतर्गत लोक शिकायत निवारण कार्यालयों में परिवादी एवं लोक प्राधिकार को आमने सामने बैठाकर शिकायत का समाधान कराया जाता है। शिकायत दर्ज करने के लिए लोक शिकायत निवारण कार्यालय जाने के आवश्यकता भी नहीं है, घर बैठे हीं ऑनलाइन पोर्टल (https://lokshikayat.bihar.gov.in/) पर अथवा जन समाधान मोबाइल ऐप द्वारा आसानी से शिकायत दर्ज करायी जा सकती है।
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