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खुशी से दर्द की जलन

खुशी से दर्द की जलन

खुशी की मुझसे मुलाकात हो गई।
सुहानी रातों की शुरूआत हो गई।
हंसी खुशी से जीने की आदत हो गई।
क्योंकि हमारे साथ खुशी जो आ गई।।


देखकर हमारी खुशियों से
दर्द को जलन सी हो रही।
इसलिए बीच बीच में अब
वो भी दस्तक देना शुरू की।
तभी खुशी ने दर्द को कुछ
नसीयत देने की कोशिश की।
पर दर्द ने खुशी की नही सुनी
और वेबजह दाखिल ही गई।।


देख अपनी खुशी के दर्द को
खुश रहने वाला घबराने लगा।
इसलिए मन्दिरों में घंटी और
अपना सिर झूकाने लगा।
करके प्रार्थना ईश्वर से वो
खुशी की फार्याद करने लगा।
और दर्द से निजात पाने की
गुहार तन मन धन से करने लगा।।


जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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