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गाँव ,शहर आउर नवयुवक

गाँव ,शहर आउर नवयुवक

एगो बात सुनी सबे हमारा जबानी।
अजब हो ग‌इल बा नवयुवकन के कहानी।।
सर्टिफिकेट लेके गाँव से शहर आ ग‌इले।
नौकरी ना मिलल त खुब पछत‌इले।।
दश दिन में पाकेट में के प‌इसा ओराइल।
भूख प्यास के मारे तब मन पछताइल।।
सर्टिफिकेट जेब में रख ठेला चलवले।
मेहनत मजदूरी क के, पेट खर्च चलवले।।
अब सोचत बाड़े लौट चलें अपना गाँव में।
केतना बढ़िया जिनगी रहे पीपल का छांव में।।
अपने खेत में मिहनत करके अन्न उपजाएब।
शहर में जाके फिर से, ठेला ना चलाइब।।
माई बाप का सुख दुख मे, हाथ हम बटाएब।
अपना साथ खाना घर भर के खियाएब।।
काग़ज़ के सर्टिफिकेट कौनो काम ना आइल।
गाँव घर खेत छोड़ कर, मन खुब पछताइल।।
शिक्षित नवयुवक लोग के आज इहे हाल बा।
गाँव छोड़ शहर भागला के, मन में मलाल बा।। 
 जय प्रकाश कुवंर
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