(महारानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस पर कुछ
शब्द प्रसून सादर अर्पित हैं _)
मणिकर्णिका, क्रांति की अमर मणि
संघर्षमय जीवन गाथा,
बाल्य अवस्था मातृ हीन ।
पितृ-छाया प्रेरणा बिंब,
राष्ट्र-धर्म तन-मन तल्लीन ।
उरस्थ फिरंगी विरोध ज्वाला,
देश-रक्षा दृढ़ संकल्प अणि ।
मणिकर्णिका,क्रांति की अमर मणि।।
शस्त्र-शास्त्र सिद्ध हस्त,
शत्रु-विरुद्ध साहस ललकार ।
झांसी नरेश संग परिणय,
लक्ष्मी बाई नाम श्री आधार।
पति-पुत्र बिछोह अति वेदना,
पर अटल राष्ट्र-धर्म कणि ।
मणिकर्णिका, क्रांति की अमर मणि।।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम,
प्रेरणा-पुंज अनुपम भूमिका ।
तांत्या टोपे संग रणनीति,
नारी-शक्ति सशक्त नीतिका ।
सैन्य-सौष्ठव रण कौशल मोहक,
झलकारी संग वीर पद वर्णि ।
मणिकर्णिका, क्रांति की अमर मणि।।
अंग्रेजी दमन सदा प्रतिकार,
मनु हर कदम राष्ट्र रक्षा ओर ।
छबीली जोश उत्साह अनंत,
पवन मेघ सी गति गर्जना भोर ।
सौंदर्य चातुर्य अनुपम वीरता,
नमन हिंद आन बान शान गणि ।
मणिकर्णिका, क्रांति की अमर मणि।।
*कुमार महेंद्र*
(स्वरचित मौलिक रचना)
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