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चाहत के मौन गलियारों में,प्रणय मृदुल स्पंदन

चाहत के मौन गलियारों में,प्रणय मृदुल स्पंदन 

नवल धवल हृदय मणि,
अधर सौम्य मुस्कान ।
परम स्पर्शन दिव्यता,
यथार्थ अनूप पहचान ।
मोहक स्वर अभिव्यंजना,
परिवेश उत्संग सुरभि चंदन ।
चाहत के मौन गलियारों में,प्रणय मृदुल स्पंदन ।

अनुभूति सह अभिव्यक्ति ,
मिलन अहम अभिलाषा ।
कृत्रिमता विलोपन पथ,
प्रस्फुटित नैसर्गिक भाषा।
अंतर्नाद शुभ मंगल मधुर,
नैतिकता व्यवहार मंडन ।
चाहत के मौन गलियारों में,प्रणय मृदुल स्पंदन ।।

हर पल हर आहट पटल,
भव्यता अथाह अवतरण ।
कल्पना मूर्त रूप अल्पना ,
आनंद असीम परिसंचरण ।
मुखमंडल अति ओज प्रभा,
पुनीत दर्शन अनंत वंदन ।
चाहत के मौन गलियारों में,प्रणय मृदुल स्पंदन ।।

सुबह शाम निशि दिन,
हिय वसित एक ही रूप।
धूप छांव बिंब परिलक्षित,
अनुपम मोहिनी प्रतिरूप ।
अभिस्वीकृति प्रस्ताव संकेतन,
प्रेम अनुबंध आदर अभिनंदन ।
चाहत के मौन गलियारों में,प्रणय मृदुल स्पंदन ।।

कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना )
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